नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश में कृषि कर्ज माफी के एक पखवाड़े बीतने और अन्य राज्यों में ऐसा किये जाने की मांग के बीच बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बीओएएमएल) ने देश के सकल घरेलू उत्पाद पर बड़ा असर होने की आशंका जताई है. अगर ये अनुमान सच साबित होता है तो जीडीपी के ऊपर बड़ा बोझ आ सकता है. बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने साल 2019 के चुनाव तक कृषि कर्ज माफी जैसे लोक लुभावने उपायों के कारण वित्तीय बोझ देश की जीडीपी के 2 फीसदी के बराबर हो जाने का अनुमान लगाया है.


विदेशी ब्रोकरेज फर्म बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के एक विश्लेषक ने आज यहां एक सर्कुलर में कहा, साल 2019 के चुनाव से पहले किसानों की कर्ज माफी राजकोषीय और ब्याज दर का जोखिम खड़ा करने वाली है और इससे कर्ज व्यवसाय की संस्कृति पर असर होगा.’’ कंपनी का अनुमान है कि यह माफी जीडीपी के करीब 2 फीसदी के बराबर बैठेगी.


उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार की कर्ज माफी 5 अरब डॉलर या प्रदेश के जीडीपी के 0.4 फीसदी के बराबर बैठती है जो दूसरे राज्यों को भी ऐसे पॉपुलर उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा.


उल्लेखनीय है कि ऐसे ही मांग महाराष्ट्र, हरियाणा और तमिलनाडु सहित अन्य राज्यों में की जा रही है. वास्तव में मद्रास उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि वह पूरे के पूरे कृषि कर्ज को माफ करे जिससे राज्य के राजकोष पर 4000 करोड़ रुपये का बोझ आ जाएगा.