बॉन्ड एक साधन है जिसके द्वारा सरकार और कंपनियां पैसा जुटाती है. हर साल सरकार और अलग-अलग प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां भी अपना बॉन्ड जारी करती है. इस बॉन्ड के जरिए सरकार और कंपनियां पैसा जुटाती है. सरकार जिस बॉन्ड को जारी करती है वह सरकारी बॉन्ड यानी Government Bond कहलाता है. वहीं प्राइवेट कंपनियां जिस बॉन्ड को जारी करती है उस बॉन्ड को कॉर्पोरेट बांड कहते हैं. सरकार और प्राइवेट कंपनियां अपने खर्चे को पूरा करने के लिए निवेशकों के लिए बॉन्ड जारी करती है. बाद में इस बॉन्ड को वह बेच देती है. इससे जो पैसा जुटता है वह सरकारी प्रोजेक्ट और कंपनी की ग्रोथ के लिए खर्च किया जाता है.


बॉन्ड खरीदने के फायदे-
अगर आप अलग-अलग जगह पर निवेश करना पसंद करते हैं तो उसमें बॉन्ड में निवेश भी शामिल करें. ऐसा करने से लोगों के पोर्टफोलियो में अलग-अलग तरह के निवेश दिखते हैं और यह डायवर्सिफाई हो पाता है. बता दें कि मार्केट में ऐसे बॉन्ड भी मौजूद है जो आपको टैक्स छूट में लाभ देते हैं. इसके अलावा ऐसे बॉन्ड भी मार्केट में है जो आपको लॉन्ग टर्म में कैपिटल गेन्स पर  किसी तरह का टैक्स नहीं देना होगा. गौरतलब है कि बॉन्ड में निवेश करना बहुत सुरक्षित माना जाता है.


सरकारी बॉन्ड में पैसे डूबने की संभावना बहुत कम होता है. इसके साथ ही इस पर ब्याज दर पहले से तय रहता है. लेकिन, बहुत से बॉन्ड पर टैक्स लगता है जिसे किसी भी निवेशक को निवेश करने से पहले जानना जरूरी है. तो चलिए जानते हैं कि इस बॉन्ड पर कितना टैक्स लगेगा.


लिस्‍टेड बॉन्‍ड
लिस्टेड  बॉन्‍ड (Listed Bond) एक लॉन्ग टर्म का बॉन्ड है. इस बॉन्ड की समय सीमा एक साल से ज्यादा की होती है. इस बॉन्ड की कमाई पर टैक्स इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार लगता है. इसके अलावा इसकी कमाई पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स का भी टैक्स स्लैब लगता है जो 10.4 प्रतिशत होता है.


सेक्शन 10 (15) टैक्स फ्री बांड
यह बॉन्ड भी एक तरह का लिस्टेड बॉन्‍ड है जिसमें निवेश करने पर आप बॉन्ड की मैच्योरिटी से पहले भी पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं. इस स्कीम में आपको शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्‍स स्‍लैब के अनुसार 10.4 प्रतिशत टैक्स लगता है.


54 ईसी बॉन्‍ड
यह भी एक तरह का हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया, पॉवर फाइनेंस कॉर्पोरेशन आदि द्वारा जारी किया जाने वाला सरकारी लिस्टेड  बॉन्‍ड है. इस बॉन्ड में टैक्स स्लैब के नियमों के अनुसार टैक्स का भुगतान करना होता है.


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