(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
BPCL: सरकार के विनिवेश कार्यक्रम को झटका, BPCL के प्राइवेटाइजेशन का फैसला वापस लिया, जानें क्यों
BPCL Disinvestment News: बीपीसीएल के निजीकरण को लेकर सरकार ने अपनी योजना वापस ले ली है और इसका विनिवेश फिलहाल नहीं होगा. जानिए इसके पीछे क्या हैं कारण और क्यों इतना बड़ा प्लान खटाई में पड़ गया.
BPCL Disinvestment News: सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) में अपनी पूरी 53 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की पेशकश वापस ले ली. सरकार ने कहा कि ज्यादातर बोलीदाताओं ने ग्लोबल एनर्जी मार्केट में मौजूदा स्थिति के कारण प्राइवेटाइजेशन में भाग लेने को लेकर असमर्थता जतायी है जिसके चलते बीपीसीएल के विनिवेश का फैसला वापस लिया जा रहा है. इंडियन ऑयल के बाद बीपीसीएल देश की दूसरी सबसे बड़ी ऑयल मार्केटिंग कंपनी है. कंपनी की मुंबई, कोच्चि और मध्य प्रदेश में रिफाइनरी यूनिट्स हैं.
ज्यादातर बोलीदाताओं के पीछे हटने के बाद बीपीसीएल के निजीकरण का फैसला वापस
सरकार ने बीपीसीएल में पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई थी. इसके लिये मार्च, 2020 में बोलीदाताओं से रुचि पत्र आमंत्रित किये गये थे. नवंबर, 2020 तक कम-से-कम तीन बोलियां आयीं. हालांकि, दो बोलीदाता ईंधन कीमत निर्धारण को लेकर चीजें साफ नहीं होने जैसे कारणों से बोली से बाहर हो गये. इससे बोली में केवल एक ही कंपनी रह गयी.
कोविड महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध से ऑयल एंड गैस सेक्टर पर असर
निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने कहा कि बोली आमंत्रित करने के बाद इसमें रुचि रखने वालों से कई इंटरेस्ट पेपर आमंत्रित किये गये. पात्र इच्छुक पक्षों (क्यूआईपी) ने कंपनी की जांच-परख का काम शुरू किया था. विभाग के मुताबिक हालांकि कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पैदा हुए वैश्विक हालात से दुनियाभर के उद्योग खासकर ऑयल एंड गैस सेक्टर पर असर आया है.
दीपम का क्या है कहना
दीपम ने कहा, "ग्लोबल ऊर्जा बाजार में मौजूदा हालात के कारण अधिकतर पात्र इच्छुक पक्षों ने बीपीसीएल के विनिवेश की मौजूदा प्रक्रिया में शामिल होने में असमर्थता व्यक्त की है." विभाग ने कहा कि इसको देखते हुए विनिवेश पर मंत्रियों के समूह ने बीपीसीएल में रणनीतिक विनिवेश के लिये रुचि पत्र प्रक्रिया बंद करने का फैसला किया है. इसके साथ क्यूआईपी से जो इंटरेस्ट पेपर मिले हैं, वे रद्द हो जाएंगे. विभाग ने कहा, "बीपीसीएल में रणनीतिक विनिवेश प्रक्रिया शुरू करने का फैसला अब स्थिति की समीक्षा के आधार पर उपयुक्त समय पर किया जाएगा."
इन तीन बोलीदाताओं ने दिखाई थी रुचि
देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनिंग और ऑयल मार्केटिंग कंपनी के प्राइवेटाइजेशन को लेकर शुरू में कंपनियों ने वैश्विक बाजार में तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव के साथ बहुत रुचि नहीं दिखायी थी. बाद में घरेलू बाजार में ईंधन कीमत निर्धारण में स्पष्टता की कमी से भी वे प्रक्रिया में शामिल होने को लेकर ज्यादा आकर्षित नहीं हुए. अनिल अग्रवाल की माइनिंग सेक्टर की दिग्गज कंपनी वेदांता समूह और अमेरिकी उद्यम कोष अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट और आई स्क्वायर्ड कैपिटल एडवाइजर्स ने बीपीसीएल में सरकार की 53 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी.
कंपनियां लागत से कम भाव पर बेच रही हैं फ्यूल
पेट्रोल और डीजल जैसे फॉसिल फ्यूल में घटती रुचि के बीच दोनों यूनिट्स ग्लोबल निवेशकों को जोड़ पाने में असमर्थ रहीं और बोली से हट गयीं. सार्वजनिक क्षेत्र की रिटेल फ्यूल कंपनियों की पेट्रोल और डीजल बाजार पर 90 फीसदी हिस्सेदारी है. ये कंपनियां लागत से कम भाव पर फ्यूल बेचती हैं.
क्या सरकार बीपीसीएल के प्राइवेटाइजेशन पर नये सिरे से विचार करेगी- जानिए सूत्रों का क्या है कहना
एक सूत्र ने कहा कि सरकार बीपीसीएल के प्राइवेटाइजेशन पर नये सिरे से विचार करेगी. इसमें बिक्री की शर्तों में संशोधन शामिल है. मौजूदा वैश्विक हालात और ऊर्जा क्षेत्र में हो रहे बदलाव को देखते हुए इसके तहत प्रबंधन नियंत्रण के साथ 26 फीसदी हिस्सेदारी की पेशकश की जा सकती है. इससे बोलीदाता को कंपनी खरीदने को लेकर शुरुआत में कम रकम देने की जरूरत पड़ेगी.
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