BPCL Disinvestment: सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) का निजीकरण रुक गया है. ईंधन कीमतों पर स्पष्टता की कमी के चलते दो बोलीदाता पीछे हट गए हैं, जिसके बाद इस कंपनी को हासिल करने की दौड़ में सिर्फ एक बोलीदाता बचा है. सरकार ने बीपीसीएल में अपनी पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई थी और मार्च, 2020 में बोलीदाताओं से रुचि पत्र आमंत्रित किए थे.


जानें क्यों रुकी विनिवेश की प्रक्रिया?
आपको बता दें नवंबर, 2020 तक कम से कम तीन बोलियां आईं, लेकिन अन्य के अपनी पेशकश वापस लेने के बाद अब केवल एक बोलीदाता बीपीसीएल के अधिग्रहण की दौड़ में बचा है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, ‘‘हमारे पास सिर्फ एक बोलीदाता है और इसका कोई मतलब नहीं कि एक बोली लगाने वाला अपनी शर्तें थोपे... इसलिए विनिवेश प्रक्रिया फिलहाल रुकी हुई है.’’


नहीं मिल रहे खरीदार
भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी तेल शोधन और ईंधन विपणन कंपनी को अधिक खरीदार नहीं मिल सके थे. इसकी प्रमुख वजह घरेलू ईंधन मूल्य निर्धारण में स्पष्टता की कमी थी. सार्वजनिक क्षेत्र के ईंधन खुदरा विक्रेता पेट्रोल और डीजल को लागत से कम कीमतों पर बेचते हैं. इससे निजी क्षेत्र के खुदरा विक्रेताओं को मुश्किल हालात का सामना करना पड़ता है या तो वे घाटे में ईंधन बेचते हैं या बाजार खो देते हैं.


वापस ली बोलियां
अनिल अग्रवाल के वेदांता समूह और अमेरिकी वेंचर फंड अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट इंक तथा आई स्क्वेयर्ड कैपिटल एडवाइजर्स ने बीपीसीएल में सरकार की 53 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी. हालांकि, बाद में दोनों वैश्विक निवेशकों ने अपनी बोलियां वापस ले लीं.


निजीकरण पर नए तरीके से विचार करेगी सरकार
सूत्र ने कहा कि सरकार ने वित्तीय बोलियां आमंत्रित नहीं की हैं. शेयर खरीद समझौते के नियमों और शर्तों को अंतिम रूप देने के बाद सरकार को वित्तीय बोलियां आमंत्रित करनी थीं. चर्चा है कि सरकार अब बीपीसीएल के निजीकरण पर नए सिरे से विचार करना चाहती है, जिसमें बिक्री की शर्तों को संशोधित करना भी शामिल है.


वेदांता के चेयरमैन ने दी थी जानकारी
एक अन्य सूत्र ने कहा कि भू-राजनीतिक स्थिति और ऊर्जा बदलाव को देखते हुए सरकार प्रबंधन नियंत्रण के साथ 26 फीसदी हिस्सेदारी की पेशकश कर सकती है. सरकार ने बीपीसीएल की विनिवेश प्रक्रिया को वापस लेने पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है. वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने बताया था कि सरकार ने बीपीसीएल में अपनी हिस्सेदारी बेचने की पेशकश वापस ले ली है और वह एक नई योजना के साथ आएगी.


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