(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
BS4 Vehicle Registration: दिल्ली-NCR में अक्टूबर से नहीं चला सकेंगे BS4 वाहन, पूरी तरह लगेगा बैन, जानें क्या है मामला
Delhi-NCR में अगर आप डीजल कार चला रहे है, और उसमें BS-4 का डीजल इंजन भी लगा हुआ है. तो ये खबर आपके लिए काम की साबित होगी. आपको बता दे कि अब आप ऐसी गाड़ियां दिल्ली-एनसीआर में नहीं चला सकेंगे.
BS4 Vehicle Ban in India : अगर आप दिल्ली-एनसीआर में डीजल कार चला रहे है, और उसमें BS-4 का डीजल इंजन भी लगा हुआ है. तो ये खबर आपके लिए काम की साबित होगी. आपको बता दे कि अब आप ऐसी गाड़ियां दिल्ली-एनसीआर में नहीं चला सकेंगे.
450 पार होगा Air Quality Index
ऐसी गाड़ी 1 अक्टूबर, 2022 से दिल्ली-एनसीआर में पूरी तरह बैन हो जाएँगी. बता दे कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Air Quality Management Commission) की नई नीति के अनुसार BS4 इंजन वाली डीजल कारों पर प्रतिबंध लगाया गया है. हालाँकि यह बैन एनसीआर में तक लागू होगा जब फेस्टिवल सीजन में वायु प्रदूषण का स्तर 450 वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) के पार चला जाता है.
Festival Season में बढ़ेगा वायु प्रदूषण
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में फेस्टिवल सीजन (Festival Season) के आसपास हरियाणा और पंजाब में दिवाली आतिशबाजी और पराली जलाने जैसे कारणों से वायु गुणवत्ता बिगड़ती है. आपको जानकारी दे दे कि नई नीति के तहत बीएस-4 इंजन वाले 4 पहिया वाहनों पर रोक लगाई जा सकती है. हालाँकि आवश्यक सेवाओं के वाहनों को छूट दी जाएगी.
स्टेज 3 प्रदूषण पर लागू होगा प्लाग
दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में राज्य सरकारें बीएस 3 पेट्रोल और बीएस 4 लाइट व्हीकल्स पर प्रतिबंध लगा सकती हैं. वही वायु प्रदूषण के तीसरे चरण में पहुंचने पर यह प्रतिबंध लागू किया जायेगा. पर्यावरण और वन मंत्रालय की ओर से तैयार किए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के तहत वर्गीकृत, वायु प्रदूषण के चरण 3 को गंभीर माना जाता है जब एक्यूआई 401 और 450 के बीच रहता है.
क्या है बीएस मानक
- BS मानक यूरोपीय नियमों पर आधारित हैं. कई देशों में ये मानक अलग-अलग होते हैं. जैसे-अमेरिका में ये टीयर-1, टीयर-2 के रूप में होते हैं, तो यूरोप में इन्हें यूरो मानक के रूप में प्रयोग किया जाता है.
- भारत में सर्वप्रथम उत्सर्जन नियमों की शुरुआत 1991 में हुई थी और तब ये नियम केवल पेट्रोल इंजन से चलने वाले वाहनों पर लागू होते थे
- BS यानी भारत स्टेज वाहन उत्सर्जन मानकों को केंद्र सरकार ने वर्ष 2000 में शुरू किया था. इसके बाद 2005 और 2006 के आसपास वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिये BS-2 और BS-3 मानकों की शुरुआत की गई, लेकिन BS-3 मानकों का अनुपालन वर्ष 2010 में शुरू किया जा सका.
- वाहनों से होने वाले उत्सर्जन के BS मानक के आगे संख्या-2, 3 या 4 और अब 6 के बढ़ते जाने का मतलब हैं. अर्थात् BS के आगे जितना बड़ा नंबर होगा, उस गाड़ी से होने वाला प्रदूषण उतना ही कम होगा.
- BS-6 ईंधन का उपयोग शुरू करने के साथ ही भारत भी एशिया-प्रशांत राष्ट्रों यथा-जापान, दक्षिण कोरिया, हॉन्गकॉन्ग, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस और चीन की सूची में शामिल हो गया है, लेकिन चीन में केवल भारी वाहनों में ही BS-6 ईंधन का उपयोग होता है.
- देश में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) इन मानकों की निगरानी करने और इन्हें जारी करने वाली नोडल एजेंसी है.
बीएस-6 मानक से लाभ
- विशेषज्ञों के अनुसार, BS-4 के मुकाबले BS-6 डीज़ल में प्रदूषण फैलाने वाले खतरनाक पदार्थ 70 से 75% तक कम होते हैं
- BS-6 मानक लागू होने से प्रदूषण में काफी कमी आएगी, विशेषकर डीज़ल वाहनों से होने वाले प्रदूषण में भारी कमी आएगी.
- नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर के मामले में BS-6 स्तर का डीज़ल काफी बेहतर होगा.
- हवा में PM2.5 का अधिकतम स्तर 60 mgcm तक होना चाहिये। BS-6 में यह मात्रा 20 से 40 mgcm होती है, जबकि BS-4 में 120 mgcm तक होती है.
ये भी पढ़ें-
Indian Railways: यात्रियों की सुरक्षा को लेकर उठाये जबरदस्त कदम, उत्तर रेलवे ने दिए निर्देश