Budget 2021: स्वास्थ्य क्षेत्र में कई घोषणाएं कर सकती है सरकार, हेल्थ एंड एजुकेशन सेस 2 फीसदी तक बढ़ाने की संभावना
इस बार सरकार स्वास्थ्य देखभाल के खर्च के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा सेस को दो प्रतिशत तक बढ़ाने पर विचार कर रही है. हालांकि ये भी कहा जा रहा है कि वित्त मंत्रालय का राजस्व विभाग वर्तमान में इस तरह के प्रस्ताव की समीक्षा कर रहा है और विचार-विमर्श अभी भी चल रहा है, फिलहाल अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
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आगामी बजट 2021-22 1 फरवरी को पेश किया जाएगा. इससे पहले बजट को लेकर कयास लगाए जाने का दौर शुरू हो चुका है. हर किसी को उम्मीद है कि इस बार मोदी सरकार के बजट बहीखाते से राहत और सौगातों की घोषणा की जाएगी. स्वास्थ्य क्षेत्र को भी आगामी बजट से काफी उम्मीदें हैं. सूत्रों की माने तो इस बार सरकार स्वास्थ्य देखभाल के खर्च के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा सेस को दो प्रतिशत तक बढ़ाने पर विचार कर रही है. हालांकि ये भी कहा जा रहा है कि वित्त मंत्रालय का राजस्व विभाग वर्तमान में इस तरह के प्रस्ताव की समीक्षा कर रहा है और विचार-विमर्श अभी भी चल रहा है, फिलहाल अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
हेल्ड एंड एजुकेशन सेस 2 प्रतिशत तक बढ़ाए जाने के कयास
गौरतलब है कि वर्तमान में, आयकर स्लैब के अनुसार, प्रत्यक्ष आयकर पर चार प्रतिशत हेल्थ एंड एजुकेशन सेस लगाया जाता है., सूत्रों के अनुसार, "वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा इसमें 0-2% के बीच बढ़ोतरी की घोषणा की जा सकती है, लेकिन ये तभी हो सकता है जब प्रस्ताव विचार-विमर्श से गुजरता है और उच्चतम राजनीतिक स्तर पर औपचारिक रूप से इसे मंजूरी मिलती है."
स्वास्थ्य बीमा कवर बढ़ाया जा सकता है
इस बीच, सूत्रों ने यह भी जानकारी दी है कि वित्त मंत्रालय आयुष्मान भारत के तहत स्वास्थ्य बीमा कवर बढ़ाने के पक्ष में है. ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत’, सरकार प्रति परिवार 5 लाख रुपये का वार्षिक स्वास्थ्य बीमा कवर देती है. अब देखने ये है कि सरकार द्वारा कितना अधिक कवर बढ़ाया जा सकता है, ताकि अधिक परिवारों को बीमा लाभ मिल सके. फिलहाल यहां भी चर्चा और आकलन अभी भी जारी है और एक या दो दिन में इसे अंतिम रूप दिया जा सकता है. गौरतलब है कि ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत’, वर्तमान में यह बीमा कवर लगभग 10.74 करोड़ गरीब और कमजोर परिवारों को दिया जाता है, जिनकी पहचान SECC 2011 के आंकड़ों के अनुसार की गई है, जो भारतीय आबादी का लगभग 40 प्रतिशत है.
बजट का आकार 30 खरब रुपये को कर सकता है पार इसके साथ ही सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के मौजूदा अस्पतालों में, नए अस्पतालों में और डिस्पेंसरी में ज्यादा आईसीयू बेड बनाने के लिए अधित बजट आवंटन किए जाने की भी संभावना है. कोरोना वैक्सीनेशन के मद्देनजर स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचा भी इस बजट में अहम मुद्दा होगा. इस कारण बजट का आकार संभवत: मौजूदा 30 खरब रुपये को पार करने की संभावना है.
टीकाकरण के प्रति सरकार अपना सकती है संवेदनशील रवैया
सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण में उन स्वास्थ्यकर्मी और सीमावर्ती कामगारों के लिए एक विशेष उल्लेख करने की भी संभावना है, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और महामारी के दौरान लाखों लोगों की जान बचाने में अपना कर्तव्य निभाया है. वहीं सूत्रों के अनुसार सरकार के टीकाकरण के प्रति संवेदनशील होने की संभावना है, जिसे कोरोनोवायरस के खिलाफ लड़ाई में पेश किया गया है.
निशुल्क वैक्सीन की रूपरेखा तैयार की जा रही है
“गरीबी रेखा से नीचे के लोगों के लिए नि:शुल्क वैक्सीन की एक योजना को कैसे शामिल किया जाए, इस पर विचार चल रहा है, व्यय विभाग वर्तमान में इस तरह की योजना के लिए आवश्यक खर्च का आकलन कर रहा है. यहां पर विचार यह किया जा रहा है कि क्या निशुल्क वैक्सीन के लिए अकेले केंद्र को भुगतान करना चाहिए? दरअसल सरकार इस योजना का भुगतान करने के लिए राज्यों और केंद्र के बीच समान भागीदारी के पक्ष में है. सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे पर अभी भी काम चल रहा है और इसे अंतिम रूप दिया जाना बाकी है, इस योजना को शुरू करने का फैसला सरकार के राजस्व की स्थिति पर निर्भर करेगा क्योंकि राज्य सीमित फंडों पर भी काम कर रहे हैं.
गौरतलब है कि पिछले साल, बजट में लगभग 67000 करोड़ रुपये के आवंटन का अनुमान लगाया गया था, जो कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के लिए एक साल पहले से लगभग 4 प्रतिशत बढ़ोतरी थी. सूत्रों से यह भी पता चला है कि 15 वें वित्त आयोग ने भी स्वास्थ्य पर खर्च को जीडीपी के 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाने पर जोर दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ऐसा कोई फैसला लिया जाता है तो यह सही दिशा में एक कदम होगा.
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