नई दिल्ली: सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के मकसद को ध्यान में रखते हुए कृषि ऋण का लक्ष्य 2021-22 के बजट में बढ़ाकर करीब 19 लाख करोड़ रुपये कर सकती है. सूत्रों ने यह जानकारी दी.
अगले वित्त वर्ष का बजट एक फरवरी को पेश किया जाएगा. चालू वित्त वर्ष के लिये सरकार ने कृषि ऋण का लक्ष्य 15 लाख करोड़ रुपये रखा है.
सूत्रों ने कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र के लिये हर साल कर्ज का लक्ष्य बढ़ाती रही है और इस बार भी 2021-22 के लिये लक्ष्य को बढ़ाकर करीब 19 लाख करोड़ रुपये किया जा सकता है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 का बजट पेश करते हुए कहा था, ‘‘कृषि क्षेत्र को कर्ज देने के मामले में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) और सहकारी बैंक सक्रिय रहे हैं. नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक) पुनर्वित्त योजना का आगे और विस्तार किया जाएगा. वित्त वर्ष 2020-21 के लिये कृषि कर्ज का लक्ष्य 15 लाख करोड़ रुपये रखा गया है.’’
सूत्रों के अनुसार कृषि कर्ज प्रवाह में साल-दर-साल वृद्धि हुई है. जो भी लक्ष्य रखे गये, ऋण वितरण उससे अधिक ही रहा है. उदाहरण के लिये 2017-18 में किसानों को 11.68 करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया जबकि लक्ष्य 10 लाख करोड़ रुपये का ही था.
इसी प्रकार, 2016-17 में 10.66 लाख करोड़ रुपये फसल ऋण वितरित किये गये. यह नौ लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य से कहीं अधिक था.
सूत्रों के अनुसार, कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिये कर्ज जरूरी है. संस्थागत स्रोतों से कर्ज सुलभ होने पर किसानों को महाजनों और सूदखोर जैसे गैर-संस्थागत स्रोतों से कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ती और अधिक ब्याज नहीं चुकाना पड़ता.
सामान्य रूप से कृषि ऋण पर ब्याज 9 प्रतिशत रहता है लेकिन सरकार ब्याज सहायता उपलब्ध कराती है ताकि अल्पकाल के लिये खेती के लिये ऋण सस्ती दरों पर किसानों को उपलब्ध हो और कृषि उत्पादन को बढ़ावा मिले.
सरकार किसानों को 2 प्रतिशत ब्याज सहायता उपलब्ध कराती है ताकि उन्हें छोटी अवधि के लिये 3 लाख रुपये तक का कर्ज प्रभावी रूप से 7 प्रतिशत ब्याज पर मिल सके.
इसके अलावा तीन प्रतिशत की सहायता उन किसानों को दी जाती है जो कर्ज का भुगतान समय पर करते हैं. इससे प्रभावी रूप से ब्याज 4 प्रतिशत बैठता है.
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