नई दिल्लीः केंद्र सरकार 1 फरवरी को आम बजट पेश करने जा रही है. इस बजट से महिलाओं को भी काफी उम्मीद है. महिला निवेशक उम्मीद कर रही हैं कि फाइनेंशियल इकोसिस्टम में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए सहायता प्रदान की जाएगी. महिला निवेशकों को उम्मीद है कि उन्हें टैक्स के मामले में कुछ राहत मिल सकती है क्योंकि वित्त वर्ष 2011- 2012 तक महिलाओं और पुरुषों के अलग-अलग इनकम स्लैब थे जो महिलाओं को थोड़ी राहत प्रदान करते थे.


खेल के नियम सभी के लिए निष्पक्ष होना जरूरी है. वेतन में समानता, भौतिक संपत्ति का स्वामित्व, वोकेशनल ट्रेनिंग के लिए आसान ऋण जैसे कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें महिलाए बदलाव देखना चाहती हैं.


लंबी अवधि की निवेशक हैं महिलाएं
एक डिफरेंट कर-प्रणाली अब समाधान नहीं हो सकती और न केवल संरक्षण दे सकती है, बल्कि उन मुद्दों को भी पेश करती है जैसे कि महिलाओं को कम कराधान पर विचार कर कम वेतन पैकेज दिया जा रहा है. महिलाएं की लंबी अवधि के निवेशक हैं. वे पारंपरिक निवेश विकल्पों जैसे कि फिक्स्ड डिपॉजिट, पोस्ट-ऑफिस सेविंग अकाउंट दूसरी चीजों में निवेश करती हैं.


परंपरागत निवेश पर नहीं मिल पाता सही रिटर्न
दुर्भाग्य से इन निवेशों पर लागू होने वाले कर में बहुत कम छूट मिलती है. इसलिए, जब एक महिला अपने पैसे बचाती है तो वह मुद्रास्फीति को डिफिट नहीं कर पाती है औऱ पहले की तुलना में थोड़ा गरीब हो जाती है. इसलिए अल्पकालिक पूंजीगत लाभ पर कम कर दरो से निवेश में अधिक भागीदारी हो सकती है जहां महिलाएं सिक्योरिटी ग्रोथ पसंद करती हैं. पूंजीगत लाभ पर कम करों से भी पूंजी बाजार में निवेश बढ़ेगा, जिसमें महिला निवेशकों की 15 – 18 फीसदी भागीदारी है.


होम और रिटायरमेंट स्कीम्स
महिलाओं के लिए होम लोन सस्ता होना चाहिए. यह ऑनरशिप बढ़ाने में मदद करेगा और महिलाओं को स्वतंत्र होने में सक्षम करेगा. अचल निवेश पर स्टांप शुल्क भी कम किया जाना चाहिए. साथ ही सुकन्या समृद्धि योजना जैसी योजनाओं को रिटायरमेंट फंड फोकस करने वाली महिलाओं के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए. महिलाएं की औसत आयु पुरुषों से अधिक होती है और हेल्थ पर खर्च भ अधिक होता है. उनके लिए हेल्थ इंश्योरेंश पर छूट बढ़ाई जा सकती है.

आसान ऋण उपलब्ध कराया जाए
वोकेशनल ट्रेनिंग के लिए महिलाओं को आसान लोन दिया जाना चाहिए. क्योंकि ऐसे पाठ्यक्रमों के लिए एनबीएफसी ऊंची दर पर लोने देते हैं. बैंकिंग सिस्टम शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए महिलाओं को कॉम्पेटेटिव रेट पर ऋण दे सकता है. इससे महिलाओं की इनकम अर्निंग कैपिसिट, अधिक बचत और निवेश करने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं.


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