केन्द्रीय बजट को लेकर इस बार काफी उम्मीदें है और ऐसा माना जा रहा है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार कई तरह की घोषणाएं कर सकती है. कोरोना के चलते डगमगाई अर्थव्यवस्था, मुद्रास्फीति के दबाव और बढ़ते वित्तीय घाटे के चलते अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में सरकार कड़ी चुनौतियों का सामना कर रही है.


हालांकि, इस बात की काफी संभावना है कि सरकार निवेश को बढ़ाने, ग्रामीण विकास को तेज करने, नई नौकरियों के सृजन, मध्यम वर्ग की चिताओं को दूर करने समेत वित्तीय घाटे को लेकर उसके रोडमैप पर फोकस करेगी.


अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने पर जोर


वैसे आर्थिक गति और निवेश को बढ़ाने के लिए सरकार ने कई सेक्टरों जैसे मैन्युफैक्चरिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड कंस्ट्रक्शन को लेकर घोषणाएं कर चुकी है. पिछले साल सरकार की तरफ से इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए पांच वर्षीय 102 लाख के दीर्घकालिक योजना का ऐलान किया जा चुका है. हालांकि, इसकी वजह से बाजार में कुछ उम्मीद भी दिखी थी. कोरोना के चलते अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए केन्द्र की तरफ से कई सेक्टरों के लिए पिछले साल ऐलान किया गया था. लेकिन आगामी बजट में ही पूरी तस्वीर साफ हो पाएगी.


सुस्त रियल एस्टेट को बड़ी उम्मीदें


नोटबंदी के बाद से ही उठने की कोशिश कर रहे रियल एस्टेट सेक्टर को केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट-21 से काफी उम्मीदें है. कोरोना संकट के चलते फंसे रियल स्टेट प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए डेवलपर्स अलग फंड बनाने की मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही, इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम को बहाल करने और अफॉर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट में 75 लाख रुपये तक के मकानों को शामिल करने की मांग की जा रही है.


2021 के बजट में डेवलपर्स चाहते हैं कि इनकम टैक्स की दरों में कटौती के साथ रियल एस्टेट ट्रांजेक्शन में भी इक्विटी के तर्ज पर LTCG Tax को घटाकर 10 फीसदी करने की मांग की जाए. होम लोन के ब्याज़ में डिडक्शन को 2 लाख से बढ़ाने,  घर खरीददों को सीधे फायदा पहुंचाने के लिए इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम को बहाल करने और SEZ को बढ़ावा देने के लिए कदमों के ऐलान भी बिल्डरों की विश लिस्ट में शामिल है.


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