Budget 2021: सोमवार को पेश होगा आम बजट, कोरोना काल में कैसे पूरी होंगी जनता की उम्मीदें?
कोरोना वायरस के कारण बिगड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए इस बजट में कई अहम ऐलान किए जा सकते हैं. इस बजट से उम्मीद की जा रही है कि इसमें महामारी से पीड़ित आम आदमी को राहत दी जाएगी.
नई दिल्ली: संसद का बजट सत्र चल रहा है. वहीं एक फरवरी को देश का आम बजट पेश होने वाला है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट पेश करेंगी. इस दौरान देश की जनता को सरकार की ओर से बजट में कई अहम ऐलान किए जाने की उम्मीद है.
कोरोना वायरस के कारण बिगड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए इस बजट में कई अहम ऐलान किए जा सकते हैं. वहीं सूत्र ने बताया कि संसद के बजट सत्र का पहला चरण 15 फरवरी के बजाए 13 फरवरी को संपन्न हो सकता है. इस बजट से उम्मीद की जा रही है कि इसमें महामारी से पीड़ित आम आदमी को राहत दी जाएगी. साथ ही स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढांचे और रक्षा पर अधिक खर्च के माध्यम से आर्थिक सुधार को आगे बढ़ाने पर अधिक ध्यान दिए जाने की भी उम्मीद की जा रही है.
एक अंतरिम बजट समेत मोदी सरकार का यह नौवां बजट होने वाला है. यह बजट ऐसे समय पेश हो रहा है, जब देश कोविड-19 संकट से बाहर निकल रहा है. इसमें व्यापक रूप से रोजगार सृजन और ग्रामीण विकास पर खर्च को बढ़ाने, विकास योजनाओं के लिए उदार आवंटन, औसत करदाताओं के हाथों में अधिक पैसा डालने और विदेशी कर को आकर्षित करने के लिए नियमों को आसान किए जाने की उम्मीद की जा रही है.
क्या है विशेषज्ञों का कहना?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019 में अपना पहला बजट पेश करते हुए चमड़े के पारंपरिक ब्रीफकेस को बदल दिया था और लाल कपड़े में लिपटे ‘बही-खाते’ के रूप में बजट दस्तावेजों को पेश किया था. वहीं उन्होंने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष का बजट इस तरीके का होगा, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया. अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों का कहना है कि यह बजट कोरोना महामारी की वजह से तबाह हुई अर्थव्यवस्था को वापस जोड़ने की शुरुआत होगा. उनका यह भी कहना है कि इस बजट को महज बही-खाते या लेखा-जोखा या पुरानी योजनाओं को नए कलेवर में पेश करने से अलग हटकर होना चाहिए.
अभी बड़े स्तर पर अर्थशास्त्रियों की आम राय है कि वित्त वर्ष 2020-21 में देश की अर्थव्यवस्था में सात से आठ प्रतिशत की गिरावट आने वाली है. यदि ऐसा होता है तो यह विकासशील देशों के बीच सबसे खराब प्रदर्शन में से एक होगा. सरकार को अर्थव्यवस्था को गर्त से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है. अब जबकि महामारी कम संक्रामक होने के लक्षण दिखा रही है और टीकाकरण कार्यक्रम में एक क्रमिक प्रगति हो रही है, यह एक बेहतर भविष्य की आशा को बढ़ावा दे रही है. ऐसे में एक स्थायी आर्थिक पुनरुद्धार के लिए नीतिगत उत्प्रेरक की आवश्यकता होगी. यहीं पर यह बजट विशेष प्रासंगिक हो जाता है.
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