Budget 2022: जानिए क्यों वित्त मंत्री से बजट में टैक्स स्लैब को तर्कसंगत बनाकर टैक्स का बोझ कम करने की उठी मांग!
Budget 2022-23: आम टैक्सपेयर्स को 5 फीसदी से बाद से सीधे 20 फीसदी टैक्स चुकाना पड़ता है. वहीं सुपर रिच कैटगरी को 43 फीसदी तक इनकम टैक्स देना पड़ता है जो कि कॉरपोरेट टैक्स से भी ज्यादा है.
Budget 2022-23: वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट एक फरवरी 2022 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी. बजट को लेकर स्टेकहोल्डरों से सुझाव लेने के लिये वित्त मंत्री अलग अलग सेक्टर के प्रतिनिधियों से मिल चुकी हैं. इस बैठक में वित्त मंत्री से आम टैक्सपेयर्स पर टैक्स के बोझ को कम कर उसे तर्कसंगत करने की मांग की गई है. इन मांगों को समझने की कोशिश करते हैं.
क्यों Tax Structure को तर्कसंगत करने की उठी मांग
मौजूदा समय में 2.50 लाख रुपये तक का इनकम पर टैक्स छूट हासिल है. लेकिन 2.50 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक के इनकम पर 5 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. लेकिन जिनकी इनकम 5 लाख रुपये से कम है उसे सरकार 87ए नियम के 12,500 रुपये तक का टैक्स रिबेट देती है. यानि 5 लाख रुपये से कम टैक्सेबल इनकम वालों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है. लेकिन यदि किसी टैक्सपेयर का इनकम 5 लाख रुपये से ज्यादा और 10 लाख रुपये से कम है तो उसे सीधे 20 फीसदी टैक्स चुकाना पड़ता है. 87ए के तहत मिलने वाले 12,500 रुपये टैक्स रिबेट का लाभ भी नहीं मिलता है. और 5 लाख से ऊपर के आय पर 20 फीसदी और 10 लाख से ज्यादा आय पर 30 फीसदी टैक्स चुकाना पड़ता है. उदाहरण के लिये, यदि किसी टैक्सपेयर का टैक्सबेल इनकम 7 लाख रुपये है तो 52,500 रुपये टैक्स चुकाना पड़ता है, और यदि किसी का टैक्सबेल इनकम 12 लाख रुपये है तो उसे 1,72,500 रुपये टैक्स चुकाना पड़ता है.
दरअसल टैक्सपेयर्स को 5 फीसदी के बाद सीधे 20 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. 10 फीसदी का कोई टैक्स स्लैब नहीं है. इसलिये टैक्स स्लैब को तर्कसंगत ( Rationalize ) करने की मांग की जा रही है.
Assocham ने सौंपे सुझाव
एसोचैम ने वित्त मंत्री को जो सुझाव सौंपा है उसमें मांग की गई है सरकार ने कॉरपोरेट्स रेट्स में 2019 में कमी की है और सरचार्ज को बढ़ाया, इसके मद्देनजर पर्सनल इनकम टैक्स के दरों में भी कमी की जाये. एसोचैम ने सुपर रिच ( Super Rich ) पर लगने वाले टैक्स में भी कमी करने की मांग की है.
दरअसल मोदी सरकार ने 2 से 5 करोड़ सलाना आय वालों पर 25 फीसदी सरचार्ज लगा दिया था. इस ब्रैकेट के आय वालों को 39 फीसदी उनकम टैक्स चुकाना पड़ता है तो 5 करोड़ रुपये से ज्यादा आय को 37 फीसदी सरचार्ज देना पड़ता है जिसके बाद उन्हें 43 फीसदी इनकम टैक्स चुकाना पड़ता है. यानि कॉरपोरेट टैक्स की अधिकत्तम सीमा 25 फीसदी से भी ज्यादा. वित्त मंत्री से ऐसे कैटगरी के लोगों के लिये टैक्स का बोझ कम कर उसे तर्कसंगत करने की मांग की जा रही है.