Budget 2023: आने वाले बजट में सरकार टैक्सपेयर्स को बड़ी सौगात दे सकती है. इनकम टैक्स की नई व्यवस्था (New Tax Regime) को आकर्षक बनाने के लिए एक फरवरी 2023 को पेश होने वाले आम बजट में इसके प्रावधानों में बड़े बदलाव का एलान किया जा सकता है. इनकम टैक्स की नई व्यवस्था में टैक्स छूट की मौजूदा सीमा को 2.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जा सकता है.


5 लाख रुपये तक के आय पर टैक्स नहीं


मौजूदा समय में 2.50 लाख रुपये के सलाना टैक्सेबल इनकम पर टैक्सपेयर्स को कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है. तो 2.50 से 5 लाख रुपये के स्लैब पर टैक्सपेयर्स को 5 फीसदी टैक्स देना होता है. एक फरवरी 2023 को पेश होने वाले बजट में इनकम टैक्स की नई व्यवस्था के तहत टैक्स छूट की सीमा को 5 लाख रुपये करने पर विचार किया जा रहा है. जिससे नई टैक्स व्यवस्था को टैक्सपेयर्स के बीच लोकप्रिय बनाया जा सके. अगर टैक्स छूट की सीमा को 5 लाख रुपये किया जाता है तो इससे टैक्सपेयर्स पर टैक्स के बोझ को घटाने में मदद मिलेगी जिससे वे ज्यादा पैसे निवेश कर सकेंगे. 


नई टैक्स में व्यवस्था में छूट का प्रावधान नहीं


फरवरी 2020 में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इऩकम टैक्स की नई व्यवस्था को लागू करने का एलान किया था. लेकिन नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्सपेयर्स को सेक्शन 80सी और 80डी के तहत टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलता है. इन टैक्स व्यवस्था में कई प्रकार के डिडक्शन को खत्म कर दिया गया है. जिसके चलते टैक्सपेयर्स नई टैक्स व्यवस्था को अपनाने से कतरा रहे हैं. कुल टैक्सपेयर्स में केवल 10 से 12 फीसदी टैक्सपेयर्स ने ही नई व्यवस्था के विकल्प को चुना है. क्योंकि इसमें ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ता है और टैक्स छूट का लाभ भी नहीं मिलता है.   


इनकम टैक्स की वई व्यवस्था के फायदे


टैक्स एक्सपर्ट का मानना है कि अगर पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था में टैक्स भार बराबर हो जाता है तो टैक्सपेयर्स नए विकल्प को अपना सकते हैं क्योंकि इससे रिटर्न भरने में आसानी होगी और अनुपालन का बोझ भी कम होगा. राजस्व सचिव के पद से हाल में रिटायर होने वाले तरुण बजाज ने इस बात के संकेत दिए थे. तरुण बजाज ने कहा कि नए इनकम टैक्स रिजिम में 2.5 लाख रुपये तक के सलाना आय वालों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है लेकिन पुराने टैक्स रिजिम में 7.5 लाख रुपये तक कमाई करने वाले टैक्स देने से बच जाते हैं. ज्यादातर लोग इसी कैटगरी में आते हैं और इसलिए नए इनकम टैक्स रिजिम का चुनाव करने के लिए इंसेटिव नहीं है. 


पुरानी टैक्स व्यवस्था में छूट डिडक्शन का फायदा


इनकम टैक्स की नई व्यवस्था में भले ही टैक्स दरें कम हो लेकिन होम लोन के मूलधन या ब्याज या बचत पर टैक्स छूट के अलावा स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ नहीं मिलने के चलते टैक्सपेयर्स को नई व्यवस्था लुभा नहीं पा रही है. यही वजह है कि सरकार नई व्यवस्था को आकर्षक बनाने पर सरकार विचार कर रही है. इनकम टैक्स स्लैब की पुराने रिजिम में टैक्सपेयर्स को कई प्रकार के टैक्स छूट का लाभ ले लकता है. इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के तहत बीमा, ईएलएसएस( ELSS), प्राविडेंट फंड, पीपीएफ ( PPF) और बच्चों के ट्यूशन फीस  के साथ होमलोन के मूलधन पर टैक्स छूट  का लाभ ले सकते है. 2 लाख रुपये तक होमलोन के ब्याज पर भी टैक्स छूट का प्रावधान है. 50,000 रुपये के स्टैडर्ड डिडक्शन ( Standard Deduction) का भी लाभ मिलता है जो नए टैक्स रिजिम में नहीं है.  


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