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Budget 2023-24: रियल एस्टेट सेक्टर को निर्मला सीतारमण के बजट से हैं ढेरों उम्मीदें, टैक्स छूट के साथ मिल सकता है यह गिफ्ट

Budget 2022-23: रियल एस्टेट सेक्टर की लंबे समय से यह मांग रही है कि उन्हें सिंगल विंडो क्लीयरेंस की सुविधा मिल सके. इसके साथ ही रियल एस्टेट सेक्टर को एक इंडस्ट्री का स्टेटस सरकार से मिलना चाहिए.

अनुज पुरी | Real Estate Budget Expectations 2023-24: दिसंबर का महीना शुरू हो चुका है. जल्द ही मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट फरवरी के महीने में पेश करने वाली है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) के इस बजट से देश के कई सेक्टर्स को ढेर सारी उम्मीदे हैं. उन्हीं में से एक सेक्टर है रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector). कोरोना महामारी के बाद से ही अब रियल एस्टेट सेक्टर ने अब रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है. अब कंपनियां उन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में लगी है जिन्हें कोरोना महामारी के कारण बंद कर दिया गया था. इसके साथ अब कई नए प्रोजेक्ट्स को भी लॉन्च कर दिया गया है. ऐसे में रियल एस्टेट सेक्टर के कुछ एक्सपर्ट्स ने इसमें तेजी लाने के लिए सरकार के सामने कुछ मांगे रखी हैं. इससे रियल एस्टेट सेक्टर को ग्रोथ होगी और कैपिटल एक्सपेंडिचर (Capital Expenditure) बढ़ेगा. आइए जानते हैं इस बारे में.

सिंगल विंडो क्लीयरेंस का है मांग

रियल एस्टेट सेक्टर लंबे वक्त से सरकार से सिंगल विंडो क्लीयरेंस (Single Window Clearance) की मांग कर रही है. ऐसे में एक्सपर्ट्स का यह मानना है कि सरकार को इस मांग पर ध्यान देने की जरूरत है. इसके साथ ही रियल एस्टेट सेक्टर को एक इंडस्ट्री का स्टेट सरकार से मिलना चाहिए. इसके साथ ही रियल सेक्टर के जुड़े लोगों की मांग है कि सरकार बजट में लोगों को सस्ते घर देने के लिए योजना पर काम करें. सरकार साल 2014 से ही सस्ते घरों पर ध्यान दे रही थी, लेकिन कोरोना महामारी के बाद से इस सेक्टर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है. ऐसे में सरकार को दो साल के बाद इस सेक्टर के लिए कुछ बजट में प्रावधान करने की जरूरत है जिससे आम लोगों और सेक्टर से जुड़े दोनों लोगों को फायदा मिलेगा.

सरकार को अफोर्डेबल हाउस की परिभाषा बदलने की है जरूरत

इसके साथ ही रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े लोगों को यह मांग है कि वह किफायती घरों यानी अफोर्डेबल हाउस की परिभाषा को बदलें. ऐसे में सरकार को अफोर्डेबल हाउस (Affordable House) की परिभाषा को एक बदलने की जरूरत है. सरकार की परिभाषा के अनुसार 60 वर्ग मीटर के घरों को एफोर्डेबल हाउस माना जाता है, लेकिन सरकार ने इसके प्राइस को 45 लाख रुपये तय किया है. ऐसे में दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में इस कीमत में घर मिलना बहुत मुश्किल होता है. ऐसे में सरकार को शहरों के हिसाब से अफोर्डेबल हाउस की परिभाषा को बदलने की आवश्यकता है. अगर सरकार इसमें बदलाव करती है तो अफोर्डेबल हाउस के जरिए मिलने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिलेगा.

सरकार घर पर दे ज्यादा से ज्यादा टैक्स छूट

इसके साथ ही रियल एस्टेट से जुड़े लोगों की यह बहुत लंबे वक्त से मांग है कि लोगों को घर ज्यादा से ज्यादा खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए टैक्स में छूट की सीमा को बढ़ाया जाए. इनकम टैक्स की धारा 24 बी के तहत होम लोन की ब्याज दर पर निवेशकों को 2 लाख रुपये तक की छूट मिलेगी. ऐसे में लोगों की यह मांग है कि इसे बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया जाए. इस बढ़ोतरी से घर खरीदने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होगी. लोग टैक्स सेविंग के ज्यादा से से ज्यादा रियल एस्टेट सेक्टर में  निवेश करेंगे और इससे सेक्टर को ग्रो करने के लिए बूस्ट मिलेगा.

(लेखक ANAROCK Group के चेयरमैन हैं. प्रकाशित विचार उनके निजी हैं.)

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