Capital Gain Tax: वित्त मंत्री ने बजट में पूंजीगत लाभ से जुड़े कुछ प्रावधानों का प्रस्ताव किया है. इस आर्टिकल में मैं पूंजीगत लाभ से संबंधित मुख्य प्रस्तावों पर चर्चा करूंगा.
रेसिडेंशियल हाउस में निवेश कर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन प्राप्त करने पर कैप
अगर आप एक तय समय सीमा के भीतर एक रेसिडेंशियल हाउस खरीदने में निवेश करते हैं, तो मौजूदा कर कानून आपको दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ से छूट प्रदान करते हैं. धारा 54 आपको एक रेसिडेंशियल हाउस की बिक्री से हुए दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर छूट प्रदान करता है, लेकिन यह लाभ तभी मिलता है जब आप एक तय समय सीमा के भीतर घर खरीदने या बनाने में उसका इस्तेमाल करते हैं. इसी तरह, धारा 54एफ आपको रेसिडेंशियल हाउस के अलावा किसी भी संपत्ति की बिक्री पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ से छूट देता है, अगर तय समय के भीतर घर खरीदने या बनाने में निवेश करते हैं.
अभी इस बात को लेकर कोई पाबंदी नहीं है कि आप एक रेसिडेंशियल हाउस में निवेश कर कितनी रकम तक दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ से छूट का दावा कर सकते हैं. बजट में इसे लेकर 10 करोड़ रुपये का कैप लगाने का प्रस्ताव किया गया है, जो आप किसी रेसिडेंशियल हाउस में इन्वेस्ट कर धारा 54 या 54एफ के तहत छूट का दावा कर सकते हैं. यह बात ध्यान देने वाली है कि प्रस्ताव में इस बात को लेकर कोई पाबंदी नहीं है कि आप जो घर खरीद रहे हैं या बनाने पर जिसमें निवेश कर रहे हैं, उसकी वैल्यू कितनी है. अगर आपका निवेश दस करोड़ रुपये से ज्यादा भी है, तो भी आप सिर्फ 10 करोड़ रुपये के लिए ही कटौती का दावा कर सकते हैं.
अगर धारा 54 के मामले में पूंजीगत लाभ की पूरी राशि और धारा 54एफ के मामले में पूरी रकम का निवेश नहीं किया जाता है, तो उपलब्ध छूट आनुपातिक रूप से कम हो जाती है.
मार्केट लिंक्ड डिबेंचर्स पर कराधान
बाजार से जुड़े डिबेंचर वित्तीय बाजार में नए इनोवेशन हैं, जिसमें आपका रिटर्न किसी बाहरी प्रतिभूति या इक्विटी बेंचमार्क के रिटर्न से जुड़ा होता है. यह निवेशकों की पूंजी को सुरक्षा प्रदान करता है और साथ ही निवेशकों को संबंधित प्रतिभूति या सूचकांकों से मिलने वाले रिटर्न का हिस्सा बनने का मौका देता है. मौजूदा कानूनों में बाजार से जुड़े ऐसे डिबेंचर के कराधान पर कोई स्पष्टता नहीं है. बजट में बाजार से जुड़े ऐसे डिबेंचर को हस्तांतरित करने या भुनाने पर प्राप्त लाभ के कराधान के लिए व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव किया गया है. वित्त मंत्री ने प्रस्ताव दिया है कि होल्डिंग अवधि के बावजूद बाजार से जुड़े डिबेंचर पर हुए किसी भी लाभ को अल्पकालिक पूंजीगत लाभ माना जाएगा. प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि लागत के अतिरिक्त निवेशक को इस तरह के हस्तांतरण पर हुए खर्च को लेकर कटौती का दावा करने की सुविधा मिलेगी, लेकिन ऐसे लेनदेन के लिए भरे गए किसी भी सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स पर किसी तरह की कटौती का लाभ नहीं मिलेगा.
(लेखक टैक्स एवं इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट हैं, प्रकाशित विचार उनके निजी हैं.)