Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को देश का बजट पेश करेंगी. आम बजट 2023-34 के लिए उन्होंने क्या कुछ सोचा है ये तो 1 फरवरी को पता ही चल जाएगा. हालांकि जनता के लिए ये जरूरी है कि वित्त मंत्री कुछ राहत उनको ऐसे क्षेत्रों में दें, जहां उनके खर्च बढ़ते जा रहे हैं और उन लोगों को कुछ टैक्स छूट मिल सके. यहां ऐसे ही विकल्पों के बारे में बताया जा रहा है.
बेसिक टैक्स छूट को बढ़ाना
मोदी सरकार ने पिछले 7 सालों में इस क्षेत्र में लोगों को कोई राहत नहीं दी है और लोगों की उम्मीदें इसको लेकर परवान चढ़ चुकी हैं. एक आम चुनाव और शताब्दियों में देखे जाने वाली महामारी के दौर को झेलते हुए केंद्र सरकार के पास लोगों को राहत देने की कितनी गुंजाइश रही है, इसको जानने को लेकर लोगों में उत्सुकता बनी हुई है. आखिरी बार इसको साल 2014-15 में संशोधित किया गया था. ये कहना बिलकुल सही होगा कि इस बेसिक टैक्स छूट की लिमिट को बढ़ाकर वित्त मंत्री लोगों को राहत भी देंगी और उनके ऊपर चढ़ा टैक्स का बोझ भी कम करेंगी.
इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव करना
देश में सबसे ऊंचा टैक्स स्लैब 30 फीसदी का है जो 10 लाख रुपये से ज्यादा की इनकम वालों पर लग जाता है (पुरानी टैक्स रिजीम) और 15 लाख रुपये से ज्यादा वालों पर (नए टैक्स रिजीम) के तहत लगता है. सरचार्ज और सेस जोड़कर ये टैक्स 42.77 फीसदी हो सकता है जिनकी आमदनी 5 करोड़ रुपये से ज्यादा हो. ये टैक्स की दर अन्य देशों के मुकाबले काफी ज्यादा है और इसको मुकाबला करके देखें तो हॉन्गकॉन्ग में ये सबसे ऊंची टैक्स दर 17 फीसदी है और सिंगापुर में 22 फीसदी पर है. मलेशिया में ये टैक्स दर 30 फीसदी है. कई लोगों का तर्क है कि इस लिमिट को बढ़ाकर 20 लाख रुपये से ज्यादा कमाई वालों पर लगना चाहिए और जो टैक्स रेट यहां 42 फीसदी से ज्यादा है, उसे घटाकर 35 फीसदी कर देना चाहिए.
नया टैक्स रिजीम
आम बजट 2020-21 में सरकार ने नए टैक्स रिजीम को लागू किया जिसके तहत लोगों को कई तरह की टैक्स छूट का हिसाब रखने से मुक्ति दिलाने के लिए एकमुश्त टैक्स देने का विकल्प रखा गया. हालांकि अभी तक लोगों में इसे लेकर जागरुकता नहीं है और कई लोग पुराने टैक्स पद्धति पर ही बने हुए हैं. ऐसे में सरकार के सामने मांग उठ रही है कि नए टैक्स रिजीम को और अधिक आकर्षक बनाया जाए जिससे इसको लेकर लोगों की रुचि इसमें आए.
फाइनेंशियल बचत के मोर्चे पर कुछ करें वित्त मंत्री
देश के सबसे पॉपुलर सेक्शन 80सी की लिमिट को बढ़ाने की मांग भी लंबे समय से की जा रही है क्योंकि इसे कई सालों से नहीं बढ़ाया गया है. ट्यूशन फीस और हाउसिंग लोन के प्रिंसिपल अमाउंट पर मिलने वाली छूट के बावजूद ये टैक्स छूट केवल 1.5 लाख रुपये तक की ही है. सेक्शन 80सी के तहत लोगों को केवल डेढ़ लाख रुपये तक का डिडक्शन मिलता है जिसे बढ़ाए जाने के लिए इसलिए भी मांग हो रही है कि देश में बचत की दर साल 2022-23 की पहली छमाही में घटकर 26.2 फीसदी पर आ गई है जो 19 सालों का निचला स्तर है. लिहाजा साफ तौर पर सरकार के पास इस डिडक्शन की लिमिट बढ़ाने का पूरा मौका है, देखना होगा कि वित्त मंत्री इस मांग को इस बार मानती हैं या नहीं.
होम लोन पर ब्याज की छूट बढ़ाना
मॉर्टगेज रेट बढ़ने के साथ ही रियल एस्टेट इंडस्ट्री की मांग है कि होम लोन के इंटरेस्ट पर मिलने वाली मौजूदा 1.5 लाख रुपये की छूट को सरकार बढ़ाए. पिछले 7 महीनों में आरबीआई के दरें बढ़ाने के कदमों के नतीजे के रूप में घरों के लोन पर ब्याज दरें करीब 2 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं. इसके चलते लोगों की ईएमआई बढ़ी हैं जिससे लोगों का घरों का बजट आसमान छू रहा है. इसके अलावा एक पक्ष और है कि हाउसिंग लोन के ब्याज पर दरें सालों से नहीं बढ़ी हैं जिसके चलते इस ओर भी ध्यान देने की वित्त मंत्री से मांग हो रही है.
स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाना
पहले सरकार इस स्टैंडर्ड डिडक्शन की मद में 40,000 रुपये देती थी पर इसे बढ़ाकर 50,000 रुपये तो कर दिया गया था. इसके तहत आने वाले ट्रांसपोर्ट अलाउंस और मेडिकल रीइबंर्समेंट को इसमें समायोजित किया जाता था. हालांकि लगातार बढ़ती वाहन फ्यूल की कीमतों और दवाओं की बढ़ती महंगाई के चलते लोगों का खर्च और बढ़ा है. इसके चलते वित्त मंत्री इस स्टैंडर्ड डिडक्शन की मद में भी कुछ राहत देकर लोगों की बेहतर मदद कर सकती हैं.
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