(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Budget 2023-24: लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को सरल बनाने के लिए बजट में वित्त मंत्री कर सकती हैं बड़ा एलान!
Budget 2023: बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को युक्तिसंगत बनाने के साथ इंडेक्सेशन का फायदा देने के लिए बेस ईयर में भी बदलाव संभव है.
Budget 2023-24: मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट एक फरवरी 2023 को पेश होने वाला है. माना जा रहा है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के नियमों में बदलाव को लेकर बड़ा एलान कर सकती हैं. बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को युक्तिसंगत बनाने पर जोर दिया जा सकता है साथ ही इंडेक्सेशन का फायदा देने के लिए बेस ईयर में भी बदलाव संभव है.
इक्विटी निवेशकों पर 12 महीने की होल्डिंग पीरियड के बाद कैपिटल गेन पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. एक साल से कम अवधि के कैपिटल गेन पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स का नियम लागू होता है. अगर प्रापर्टी बेचा जाता है या फिर अनलिस्टेड शेयर को बेचने पर 2 साल के बाद लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. ज्वैलरी और डेट फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स के लिए 3 साल बाद 20 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स का नियम लागू होता है. माना जा रहा है कि बजट में कैपिटल गेन टैक्स को एसेट के होल्डिंग पीरियड और टैक्स रेट दोनों को युक्तिसंगत बनाया जा सकता है.
इंडेक्सेशन कैलकुलेशन के लिए बेस ईयर में भी बदलाव किए जाने के आसार हैं. इससे पहले 2017 में बेस ईयर में बदलाव किया गया था. अभी इंडेक्सेशन का बेनिफिट साल 2001 के आधार पर तय किया जाता है. बीते कुछ सालों में सभी एसेट के वैल्यूशन में बड़ी बढ़ोतरी हुई है,इसके चलते इंडेक्सेशन के बेस ईयर को बदलने की दरकार आन पड़ी है.
एक अधिकारी के मुताबिक इस पूरे कवायद का मकसद कैपिटल गेन स्ट्रक्चर को सरल बनाने के साथ टैक्सपेयर फ्रेंडली बनाना है जिससे कम्पलॉयंस के बोझ को कम किया जा सके. इससे एक प्रकार के एसेट क्लास में टैक्स रेट्स और होल्डिंग पीरियड में समानता लाने में मदद मिलेगी. इनकम टैक्स कानून के तहत चल और अचल दोनों ही प्रकार के कैपिटल एसेट्स के बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स लगाने का प्रावधान है. हालांकि इसमें पर्सनल एसेट जैसे कार, अप्पैरल और फर्णीचर शामिल नहीं है.
एएमआरजी एंड एसोसिएट के डायरेक्टर ओम राजपुरोहित ने कहा कि 2004 के बाद कैपिटल गेन टैक्स के नियमों में कई बदलाव किए गए हैं जिसके कारण यह काफी पेचीदा हो गया है. उन्होंने कहा कि ये संभव है कि सरकार असेट क्लास को चल और अचल की कैटिगरी में बांट दे और होल्डिंग पीरियड को सिंगल टाइमलाइन में रखा जाए.
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