वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2023 को लोकसभा में वित्त वर्ष 2023-24 का केंद्रीय बजट पेश किया. बजट में कई चीजों की सब्सिडी में कटौती की गई है.
सरकार ने उर्वरकों की सब्सिडी के लिए 2023-24 के बजट में 1,75,099 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है, जबकि 2022-23 के संशोधित अनुमानों में यह बजट 2,25,220 करोड़ रुपए था.
केंद्र सरकार उर्वरकों पर पोषक तत्व और यूरिया पर सब्सिडी देती है. लेकिन इस बजट में इस पोषक तत्व पर दी जा रही सब्सिडी को 71,122 करोड़ से घटाकर 44,000 करोड़ रुपए कर दिया गया है.
वहीं यूरिया की सब्सिडी को 1,54,097 करोड़ से कम करके 1,31,099 करोड़ रुपए कर दिया गया है. कुल मिलाकर पिछले सब्सिडी की तुलना में इस सब्सिडी की धनराशि 22 प्रतिशत कम कर दिया गया है.
इसके अलावा गरीब परिवार को दी जाने वाली एलपीजी सब्सिडी में भी वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में 75 प्रतिशत की कमी की गई है. पहले 9,170 करोड़ दिया जाता है अब यह घटाकर 2,257 करोड़ रुपए कर दिया गया है. यानी इस साल बजट में 6,913 करोड़ रुपए सब्सिडी की कटौती कर दी गई है.
ब्याज सब्सिडी योजनाओं की सब्सिडी में भी कटौती
खाद और पेट्रोलियम उत्पाद पर मिलने वाली सब्सिडी के अतिरिक्त केंद्र सरकार 15 योजनाओं के लिए ब्याज सब्सिडी भी दे रही थी. लेकिन ब्याज सब्सिडी की इन योजनाओं के सब्सिडी की भी इस बजट में कटौती की गई है. पिछले वित्त वर्ष की तुलना में इस साल करीब 10 हजार करोड़ रुपए की कटौती हुई है.
पिछली बजट में इन योजनाओं पर 37,536 करोड़ रुपए की सब्सिडी का आवंटन किया गया था जिसे मौजूदा बजट में 27,564 करोड़ रुपए कर दिया गया है.
आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोगों को घर खरीदने के लिए लोन के ब्याज पर मिलने वाली सब्सिडी योजना सीएलएसएस-1 (क्रेडिट लिंक सब्सिडी स्कीम) का बजट 11,222 करोड़ (संशोधित अनुमान 2022-23) से घटकर महज 1 लाख कर दिया गया है.
इन योजनाओं का बजट भी किया गया कम
- मूल्य समर्थन स्कीम के तहत कॉटन कारपोरेशन द्वारा कपास की खरीद का बजट पिछले वित्त वर्ष में 782 करोड़ था जिसे इस वित्त वर्ष घटाकर 1 लाख रुपए कर दिया गया है.
- इसके अलावा माल ढुलाई सब्सिडी स्कीम के बजट को भी पिछले बजट की तुलना में काफी कम कर दिया गया है. पिछले वित्त वर्ष में माल ढुलाई सब्सिडी स्कीम का बजट 156 करोड़ था इस वित्त वर्ष (2023-24) में इसे 50 करोड़ रुपए कर दिया गया है.
- कृषि मंत्रालय में बाजार हस्तक्षेप स्कीम और मूल्य समर्थन योजना (एमआईएस-पीएसएस) का बजट भी 1,500 करोड़ रुपए से घटाकर 1 लाख रुपए कर दिया गया है.
- अगर समग्र रूप से देखें तो तमाम सब्सिडी योजनाओं का बजट 4,03,084 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है जो पिछले वर्ष के बजट अनुमान 5,62,079 से 1,58,995 करोड़ रुपए कम है.
मनरेगा
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के लिए भी इस बजट के आवंटन में 29,400 करोड़ रुपये की कटौती की गई है. वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में मनरेगा के लिए 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो कि वित्त वर्ष 2022-23 से 32 प्रतिशत कम है.
बता दें कि वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में मनरेगा के लिए 73,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जबकि संशोधित अनुमान के मुताबिक खर्च 89,400 करोड़ रुपये था.
सब्सिडी में कटौती कहीं महंगाई की वजह तो नहीं बन जाएगी.
अर्थशास्त्र के प्रोफेसर आनंद सिंह कहते हैं कि रिजर्व बैंक ने कुछ सप्ताह अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि महंगाई का सबसे बुरा दौर कोरोना के साथ ही पीछे छूट चुका है. पिछले कुछ सालों में कोरोना और उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति में रुकावट आई थी महंगाई बढ़ी थी और खाद्यान्न के वैश्विक दाम में तेजी आई थी. लेकिन अब स्थिति उतनी खराब नहीं है, जितनी पहले थी. एक बार फिर ऊर्जा की कीमत घट रही है. लगता है कि महंगाई नियंत्रण में रह सकती है.
सब्सिडी घटाने का लोगों पर क्या पड़ेगा असर?
इस सवाल के जवाब में प्रोफेसर कहते हैं, 'कृषि एवं खाद सेक्टर में खाद उर्वरक सब्सिडी अहम हैं और लेकिन पिछले बजट को देखें तो केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में निवेश के बजाय सब्सिडी पर ज्यादा खर्च कर रही थी. केंद्र सरकार मुफ्त खाद्यान्न जैसी सब्सिडी पर लाखों करोड़ रुपये खर्च कर रही है. यह खाद व्यवस्था में टिकाऊपन और उत्पादकता के हिसाब से सही नहीं है.