(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Budget 2024: बजट से एमएसएमई की उम्मीद, क्रेडिट लाइन और फंडिंग के मोर्चे पर मिल सकता है तोहफा
Budget Expectations: बजट आने में अब बस एक सप्ताह बचा हुआ है. इस बजट से हर सेक्टर को काफी उम्मीदें हैं. आइए जानते हैं कि रियल एस्टेट सेक्टर ने बजट से क्या उम्मीदें लगा रखी हैं...
चंद दिनों बाद देश का नया बजट पेश होने वाला है. 31 जनवरी से शुरू हो रहे बजट सेशन के दूसरे दिन यानी 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चुनावों से पहले अंतरिम बजट पेश करेंगी. इस बजट से देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले एमएसएमई सेक्टर को काफी उम्मीदें हैं.
अर्थव्यवस्था में इतना बड़ा एमएसएमई का योगदान
एमएसएमई सेक्टर यानी माइक्रा, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज की बात करें तो देश की अर्थव्यवस्था में इसका बड़ा योगदान है. वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की कुल जीडीपी में अकेले इस सेक्टर ने 29.15 फीसदी का योगदान दिया था. मतलब भारत की अर्थव्यवस्था का लगभग एक तिहाई हिस्सा एमएसएमई सेक्टर से आ रहा है. ऐसे में यह सेक्टर ओवरऑल पूरी अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाता है.
5-ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लिए अहम
सरकार ने देश को अगले साल तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है. अभी भारत की अर्थव्यवस्था का साइज करीब 3.75 ट्रिलियन डॉलर है. 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी का लक्ष्य पाने में एमएसएमई का योगदान काफी महत्वपूर्ण साबित होने वाला है. इस कारण भी मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के इस अंतरिम बजट से एमएसएमई के लिए बड़े ऐलान की उम्मीद की जा रही है.
फंडिंग के मोर्चे पर एमएसएमई की उम्मीदें
एमएसएमई सेक्टर के सामने सबसे बड़ी समस्या आती है फंडिंग की. इस सेक्टर को इंस्टीट्यूशनल क्रेडिट की कमी का सामना करना पड़ता है. ऐसे में इंडस्ट्री एक्सपर्ट उम्मीद कर रहे हैं कि अंतरिम बजट में एमएसएमई के लिए ब्याज दरों पर प्रोत्साहन, क्रेडिट गारंटी स्कीम और फंडिंग के विकल्पों में विस्तार जैसे उपाय किए जा सकते हैं.
एमएसएमई के लिस आसान हो सकते हैं रेगुलेशंस
एमएसएमई और स्टार्टअप के सामने एक और समस्या आती है रेगुलेशंस की. इस अंतरिम बजट में एमएसएमई और नई कंपनियों के लिए नियामकीय अनुपालन को आसान बनाया जा सकता है, जो कारोबार सुगमता यानी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने में मददगार साबित हो सकता है. इस तरह के कदम से भारतीय एमएसएमई वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकेंगे.
पूंजी-प्रवाह के जोखिम को कम करने की जरूरत
डिलॉयट की एक रिपोर्ट बताती है कि ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, केमिकल्स जैसे सेक्टर्स के एमएसएमई के लिए पूंजी के प्रवाह में जोखिम को कम करने की जरूरत है. एमएसएमई को डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और साइबर सिक्योरिटी पर भी सरकार से बड़े उपायों की उम्मीद है.
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