(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Union Budget 2024: कोरोना बाद मेडिकल इंश्योरेंस - इलाज हुआ महंगा, अंतरिम बजट में बढ़ सकती है मेडिक्लेम पर टैक्स बेनेफिट की लिमिट!
Interim Budget 2024: कोरोना काल के बाद से अस्पतालों में इलाज जहां महंगा हुआ है तो मेडिक्लेम के प्रीमियम में भी बढ़ोतरी हुई है. पर टैक्स डिडक्शन लिमिट में 9 साल में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
Budget 2024: महंगाई के बीच कोरोना महामारी के दस्तक देने के बाद से देश में लोगों के लिए अस्पतालों में इलाज कराना महंगा हुआ है. पॉलिसीबाजार ने एक डेटा जारी किया था जिसके मुताबिक पिछले पांच वर्षों में कोई भी बीमारी होने पर अस्पताल में भर्ती होने के बाद इलाज पर खर्च दोगुनी महंगी हो चुकी है. केवल इलाज ही महंगा नहीं हुआ है बल्कि मेडिकल इंश्योरेंस भी महंगा हुआ है. मेडिक्लेम लेने पर लोगों को भारी भरकम प्रीमियम का भुगतान करना पड़ रहा है. लेकिन 2015 के बजट के बाद से इनकम टैक्स के सेक्शन 80डी के तहत मेडिकल इंश्योरेंस लेने पर डिडक्शन क्लेम करने की लिमिट में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है जिससे टैक्सपेयर्स मेडिक्लेम इंश्योरेंस के बढ़े बोझ पर टैक्स छूट का लाभ ले सकें.
80डी के तहत बढ़ेगा डिडक्शन लिमिट
एक फरवरी 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अंतरिम बजट पेश करने जा रही है. लोकसभा चुनावों के पहले नई सरकार के गठन होने के बाद पेश किए जाने पूर्ण बजट तक के लिए वोट ऑन अकाउंट सरकार संसद में पेश करेगी जिससे अगले चार महीनों के लिए सरकारी खर्चों की मंजूरी ली जा सके. लेकिन ये उम्मीद की जा रही है कि मोदी सरकार चुनावी रण में जाने से पहले अंतरिम बजट में लोकलुभावन एलान के जरिए वोटरों को लुभाने की कोशिश करेगी. ऐसे में उम्मीद है कि इलाज पर बढ़ते खर्च और मेडिकल इंश्योरेंस के महंगे होने के बाद वित्त मंत्री मेडिक्लेम प्रीमियम के भुगतान पर टैक्स छूट क्लेम करने के लिए डिडक्शन की लिमिट को बढ़ा सकती हैं.
25,000 रुपये तक टैक्स डिडक्शन बेनेफिट
मौजूदा समय में 60 साल से कम उम्र के लोग 25,000 रुपये तक प्रीमियम के भुगतान पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए ये लिमिट 50,000 रुपये है. इसके अलावा प्रीवेंटिव हेल्थ चेकअप कराने पर 5,000 रुपये तक टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है.
डिडक्शन लिमिट से ज्यादा है प्रीमियम
अब अगर कोई व्यक्ति अपने स्पाउज और दो बच्चों के लिए 5 लाख रुपये तक का मेडिक्लेम लेता है तो उसे सालाना 36,365 रुपये तक प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है. और 10 साल के लिए मेडिक्लेम लेता है तो उसे 40,227 रुपये सालाना प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है और अगर 20 लाख का मेडिकल इश्योरेंस लेता है तो उसे 47,000 रुपये सालाना प्रीमियम का भुगतान करना होता है. ऐसे में 80डी के तहत 25,000 रुपये के प्रीमियम भुगतान पर टैक्स डिडक्शन बेनेफिट नाकाफी साबित हो रहा है.
9 सालों में नहीं किया गया कोई बदलाव
साल 2015 में पेश किए गए बजट में पिछली बार सरकार ने 80डी के तहत डिडक्शन लिमिट को 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये किया था. उसके बाद 9 सालों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. सीनियर सिटीजंस के लिए 2018 में इस लिमिट को 30,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये किया गया था. लेकिन इस बीच लोगों ने कोरोना का दंश झेला है लेकिन टैक्स डिडक्शन क्लेम करने की लिमिट में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है.
नए इनकम टैक्स रिजीम के तहत भी मिले बेनेफिट
ऐसे में वित्त मंत्री से 80डी के तहत डिडक्शन लिमिट को बढ़ाये जाने की मांग की जा रही है. वहीं मेडिकल इंश्योरेंस का फायदा केवल उन्हीं टैक्सपेयर्स को मिलता है जो पुरानी इनकम टैक्स रिजीम के तहत रिटर्न फाइल करते हैं. नए इनकम टैक्स रिजीम में इस डिडक्शन का लाभ नहीं मिलता है. ऐसे में ये भी मांग की जा रही है मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन का बेनेफिट नए इनकम टैक्स रिजीम में भी टैक्सपेयर्स को दिया जाए. अब सवाल उठता है कि लगातार छठी बार बजट पेश कर रहीं निर्मला सीतारमण टैक्सपेयर्स को ये सौगात देती हैं या नहीं?
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