विनिवेश के मोर्चे पर सरकार को लगातार निराशा का सामना करना पड़ रहा है. पिछले कुछ सालों से लगातार विनिवेश के लक्ष्य को पाने में असफल रह रही सरकार इस बार फिर से असफलता की राह पर है. यही कारण है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को ताजे बजट में विनिवेश के लक्ष्य में भारी कमी करने पर मजबर होना पड़ा है.


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कल 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया. यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम बजट और निर्मला सीतारमण का लगातार छठा बजट रहा. इस साल लोकसभा चुनावों के चलते लोग भले ही बजट से बहुत उम्मीदें लगाए बैठे थे, लेकिन केंद्र सरकार का यह बजट पॉपुलिस्ट होने के बजाय रियलिस्टिक रहा.


लक्ष्य में 41 फीसदी से ज्यादा कटौती


बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान विनिवेश के लक्ष्य को घटाकर 30 हजार करोड़ रुपये कर दिया. इससे पहले चालू वित्त वर्ष के दौरान विनिवेश से 51 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया गया था. मतलब सरकार ने इस वित्त वर्ष में विनिवेश के लक्ष्य में 41 फीसदी से ज्यादा की कटौती की है. अगले वित्त वर्ष यानी अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के लिए सरकार ने 50 हजार करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा है.


अब तक आए सिर्फ 10 हजार करोड़


चालू वित्त वर्ष अब दो महीने ही बचा है और 31 मार्च 2024 को समाप्त हो रहा है. एअर इंडिया और एनआईएनएल के प्राइवेटाइजेशन के बाद विनिवेश के मोर्चे पर सरकार के हाथ कुछ भी ठोस नहीं लगा है. चालू वित्त वर्ष में सरकार विनिवेश से अब तक महज 10,051.73 करोड़ रुपये जुटा पाई है. इसमें से ज्यादा हिस्सा शेयर मार्केट रूट यानी आईपीओ/एफपीओ के जरिए आया है. ऐसे में 30 हजार करोड़ रुपये के संशोधित लक्ष्य को पाना भी मुश्किल लग रहा है. ऐसा लग रहा है कि सरकार लगातार पांचवें साल विनिवेश के लक्ष्य से दूर रहने वाली है.


सरकार को यहां से विनिवेश की उम्मीद


सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कॉनकॉर जैसी कंपनियों का 2019 में विनिवेश करने की योजना तैयार की थी, लेकिन कोविड के कारण टालना पड़ गया था. सरकार चालू वित्त वर्ष के दौरान बीईएमएल, शिपिंग कॉरपोरेशन, एचएलएल लाइफ केयर, एनएमडीसी स्टील और आईडीबीआई बैंक के विनिवेश की उम्मीद कर रही है.


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