Union Budget 2024: वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आम बजट (Union Budget) पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) टैक्सपेयर्स के लिए नई इनकम टैक्स रिजीम (New Income Tax Regime) लेकर आईं. नई टैक्स व्यवस्था को पहली बार लागू किया गया तब इसमें टैक्सपेयर्स को निवेश या बचत पर डिडक्शन का लाभ नहीं मिलता था. नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्सपेयर्स को सेक्शन 80सी और 80डी के तहत टैक्स छूट का लाभ नहीं दिया गया. जिसके चलते टैक्सपेयर्स ने नई टैक्स व्यवस्था को अपनाने से कतरा रहे थे. कुल टैक्सपेयर्स में 10 फीसदी से भी कम टैक्सपेयर्स ने नई टैक्स व्यवस्था के विकल्प को चुना. नई इनकम टैक्स रिजीम में टैक्सपेयर्स को ज्यादा टैक्स भी चुकाना पड़ रहा था और साथ में निवेश - बचत पर टैक्स छूट का लाभ भी नहीं मिल रहा था. 


नए टैक्स रिजीम को बनाया गया आकर्षक


लेकिन वित्त वर्ष 2023-24 के लिए वित्त मंत्री ने जब मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पांचवां बजट पेश किया तो नई इनकम टैक्स रिजीम को आकर्षक बनाने के लिए वित्त मंत्री ने बड़े एलान किए. वित्त मंत्री ने अपने बजट में नए इनकम टैक्स रिजिम के टैक्स स्लैब में बदलाव करते हुए एलान किया कि 7 लाख रुपये तक सालाना जिनकी आय है उन टैक्सपेयर्स को कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा. एक अनुमान के मुताबिक ऐसे 7 करोड़ टैक्सपेयर्स जिनकी सालाना आय 7 लाख रुपये से कम है उन्हें वित्त मंत्री के एलान का लाभ मिला है. 


7 लाख रुपये तक के इनकम पर टैक्स नहीं 


 नए टैक्स रिजीम में जिनकी आमदनी 7 लाख रुपये तक है, उन्हें एक रुपये भी टैक्स नहीं देना होगा. पर अगर जिसकी सालाना इनकम 7 लाख रुपये से ज्यादा है उन्हें नई इनकम टैक्स व्यवस्था के तहत 3 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा. लेकिन 7 लाख रुपये से ज्यादा आय होने पर 3 से 6 लाख वाले स्लैब पर 5 फीसदी, 6 से 9 लाख रुपये तक के टैक्सेबल इनकम पर 10 फीसदी, 9 से 12 लाख रुपये तक के स्लैब पर 15 फीसदी, 12 से 15 लाख रुपये तक के स्लैब पर 20 फीसदी और 15 लाख रुपये से ज्यादा आय पर 30 फीसदी इनकम टैक्स देना होगा. वित्त मंत्री ने नए टैक्स रिजिम में सैलरीड और पेंशनधारकों को स्टैंडर्ड डिडक्शन का भी लाभ देने की घोषणा की. सैलरीड और पेंशनर्स को 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिलेगा. 


डिफॉल्ट टैक्स रिजीम है नई इनकम टैक्स व्यवस्था


नया इनकम टैक्स रिजीम अब डिफॉल्ट टैक्स रिजीम है. यानि आयकर रिटर्न भरने के समय पुराने टैक्स रिजीम के विकल्प को टैक्सपेयर्स को चुनना होगा. नए टैक्स रिजीम को टैक्सपेयर्स को 87ए के तहत पहले 12,500 रुपये का रिबेट 5 लाख रुपये तक के आय पर दिया जा रहा था उसे बढ़ाकर 7 लाख रुपये तक के इनकम पर 25,000 रुपये का रिबेट दिया जा रहा है. नए रिजीम में बेस्क इनकम टैक्स छूट की लिमिट को 2.50 लाख रुपसे से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया गया है.  


स्टैंडर्ड डिडक्शन का भी मिल रहा लाभ


नए इनकम टैक्स रिजिम के तहत टैक्स स्लैब में इसलिए भी बदलाव किया गया जिससे पुराने टैक्स रिजिम के समान इसे बेहतर बनाया जा सके. पुराने टैक्स रिजीम में टैक्सपेयर्स को 50000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन, 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये तक के निवेश, एनपीएस में 80CC1B के तहत 50,000 रुपये और 80D के तहत 25,000 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक टैक्स छूट का लाभ मिलता है. इसके अलावा भी टैक्सपेयर्स को होम लोन पर 2 लाख रुपये तक के ब्याज पर टैक्स छूट हासिल है. पुराने टैक्स रिजीम के समान नए इनकम टैक्स रिजीम को आकर्षक बनाने के लिए बड़ा बदलाव किया गया. 


पुराने टैक्स रिजीम में डिडक्शन का लाभ


हालांकि नई इनकम टैक्स रिजीम ऐसे टैक्सपेयर्स जिन्होंने घर खरीदने के लिए होमलोन ले रखा है या बीमा से लेकर एनपीएस. पीपीएफ में निवेश कर रखा है उनके लिए ओल्ड टैक्स रिजीम ही बेहतर है. पुराने इनकम टैक्स की व्यवस्था में टैक्सपेयर्स कई प्रकार से आय में डिडक्शन के जरिए टैक्स छूट का लाभ ले सकता है. इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी ( Section 80C) के तहत बीमा, ईएलएसएस( ELSS), एम्पलॉय प्राविडेंट फंड, पीपीएफ और बच्चों के ट्यूशन फीस ( Tution Fees) के साथ होमलोन के मूलधन रकम ( Home Loan Principal) पर टैक्सपेयर्स टैक्स छूट ( Tax Benefit) का लाभ ले सकते है. 2 लाख रुपये तक होमलोन के ब्याज  पर भी टैक्स छूट का प्रावधान है. इसके अलावा 80डी के तहत मेडिक्लेम के प्रीमियम के भुगतान पर डिडक्शन का लाभ ले सकते हैं. 


नई टैक्स रिजीम में मेडिक्लेम का फायदा संभव 


हालांकि लोकसभा चुनावों से पहले पेश होने जा वाले अंतरिम बजट से भी उम्मीद की जा रही कि नई इनकम टैक्स रिजीम को बेहतर बनाने के लिए वित्त मंत्री कुछ बड़ी घोषणा कर सकती हैं. ये माना जा रहा है कि नए इनकम टैक्स रिजीम के तहत मेडिक्लेम के प्रीमियम के भुगतान पर डिडक्शन का लाभ दिया जा सकता है. जिससे टैक्सपेयर्स पर टैक्स के बोझ को कम किया जा सके. साथ ही स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट होने ही टैक्स व्यवस्था के तहत 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये किए जाने की उम्मीद है.  


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