Income Tax Slab Rate: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) जुलाई के तीसरे हफ्ते में लगातार सातवां बजट पेश करेंगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार (NDA Government) के तीसरे कार्यकाल का ये पहला बजट है. लोकसभा चुनावों ( Loksabha Elections 2024) में बीजेपी (BJP) को अपने दम पर बहुमत नहीं मिलने के बाद ये कयास लगाया जा रहा कि वित्त मंत्री अपने बजट (Budget) को टैक्सपेयर्स को टैक्स में राहत देती हैं या नहीं. लेकिन वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बजट पूर्व मीटिंग में शामिल होने वाले उद्योगजगत के प्रतिनिधियों ने सबसे ज्यादा वैसे टैक्सपेयर्स को राहत देने की मांग की है जो 30 फीसदी इनकम टैक्स रेट के स्लैब में आते हैं.
30% टैक्स स्लैब में आने वालों को राहत!
रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा के हुई प्री-बजट मीटिंग में बिजनेस चैंबर सीआईआई के प्रेसीडेंट संजीव पूरी ने 20 लाख रुपये तक सालाना इनकम वालों को टैक्स रेट में राहत देने की मांग रखी है. और ये वहीं कैटगरी है जो 30 फीसदी के स्लैब में आता है. पुराने इनकम टैक्स रिजीम के तहत 10 लाख रुपये सालाना से ज्यादा कमाने वालों को 30 फीसदी इनकम टैक्स चुकाना होता है तो नए इनकम टैक्स रिजीम में 15 लाख रुपये से ज्यादा आय वालों को 30 फीसदी इनकम टैक्स देना होता है.
पीएचडी चैंबर (PHDCCI) के डायरेक्ट टैक्स कमिटी के चेयरपर्सन मुकिल बागला ने रेवेन्यू सेक्रेटरी को सुझाव दिया है कि 40 लाख रुपये से ज्यादा आय वालों को 30 फीसदी टैक्स रेट के स्लैब में लाया जाए जिससे मध्यम वर्ग को इस टैक्स रेट के बोझ से राहत मिल सके. उन्होंने 40 लाख रुपये से कम आय वालों को 20 से 25 फीसदी टैक्स स्लैब में लाये जाने की मांग की है.
2012-13 के बाद 10 लाख रुपये की लिमिट में बदलाव नहीं
दरअसल पुराने टैक्स रिजीम के तहत वित्त वर्ष 2012-13 से 10 लाख रुपये से ज्यादा आय वालों को 30 फीसदी टैक्स स्लैब में शामिल किया गया था. 11 वित्त वर्ष खत्म हो चुके हैं लेकिन 30 फीसदी टैक्स रेट लगाने के लिए 10 लाख रुपये की इनकम लिमिट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. केवल नए टैक्स रिजीम में 15 लाख रुपये से ऊपर आय वालों पर 30 फीसदी टैक्स लगता है लेकिन इस रिजीम में टैक्स डिडक्शन का बेनेफिट टैक्सपेयर्स नहीं ले सकते.
क्या मध्यमवर्ग को मिलेगी राहत?
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वित्त मंत्री देश के उभरते मध्यमवर्ग जो सबसे ज्यादा डिमांड को बढ़ाने और खपत बढ़ाने में अपना योगदान देते है उन्हें बजट में राहत देंगी? हाल ही में रॉयटर्स की रिपोर्ट के हवाले से ये जानकारी सामने आई थी कि ऐसे टैक्सपेयर्स जिनकी सालाना इनकम 15 लाख रुपये से ज्यादा है उनपर टैक्स के बोझ को थोड़ा कम कर राहत दी जा सकती है जिससे देश में खपत को बढ़ाया जा सके. अगर सरकार ऐसे टैक्सपेयर्स को राहत देती है तो खपत के बढ़ने से राजस्व में होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सकती है.
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