Union Budget 2025: भारत की इकोनॉमी को रफ्तार देने की कोशिश लगातार जारी है. फिर भी यह कभी सुस्ती तो कभी पस्ती से उबरने का नाम ही नहीं ले रही है. बार-बार झटके खाकर धीमी हो जा रही है. लेकिन इकोनॉमी को लगातार रफ्तार देने की कोशिश में जुटी भारत सरकार ने इस बार जबर्दस्त चाल चली है. इससे हमारी इकोनॉमी लंबे समय के लिए फर्राटा भरेगी ही. भारत सरकार की यह रणनीति अर्थव्यवस्था को बाजार की ताकत से धक्के देकर दौड़ाने की है. इसके लिए बाजार में मांग बढ़ाने की तैयारी है. यह तैयारी खपत बढ़ाने की बदौलत है. खपत बढ़ाने के लिए लोगों को अधिक से अधिक खर्च करने के लिए प्रेरित करना है. यह प्रेरणा तभी आएगी जब लोगों का पैसा कहीं न कहीं से बचेगा. इसके लिए सरकार आयकर में कटौती करने पर विचार कर रही है, ताकि जरूरी खर्चों में हाथ रोक रहे लोग मुट्ठी खोलकर बाजार से माल जुटाएं और अपना खर्च बढ़ाएं.
आपकी बढ़ी शॉपिंग इकोनॉमी को दे सकती है बूस्टर डोज
सरकार की योजना मध्यवर्ग के जेब से पैसा निकालकर बाजार में भेजने यानी शॉपिंग बढ़ाकर इकोनॉमी को बूस्टर डोज देने की है. इसके लिए सालाना 15 लाख रुपये तक की कमाई पर आयकर की दरों मे कटौती पर विचार चल रहा है. इससे महंगाई की बोझ से दबे लाखों लोगों को फायदा हो सकता है और वे अपना जीवन-स्तर ऊंचा उठाने के लिए ज्यादा खर्च कर सकते हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार आयकर की दरों में इस तरह की कटौती की घोषणा आगामी बजट में कर सकती है.
कितनी होगी कटौती, चल रहा मंथन
हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि सरकार आयकर की दरों में किस तरह की कटौती करने जा रही है. इस पर सरकार के अंदर अभी उच्च स्तर पर मंथन चल रहा है. इस बात का आकलन किया जा रहा है कि आयकर दरों में कटौती से खजाने को कितनी मार पड़ेगी? आयकर में कटौती से लोग नई कर प्रणाली को चुनना चाहेंगे, जो पुरानी कर प्रणाली से ज्यादा आसान है.
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