Budget 2025: महंगी हो सकती हैं बच्चों और बड़ों से जुड़ी ये चीजें, सरकार के पास पहुंच गया सुझाव
सर्वे में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को यूपीएफ से बचाने के लिए कड़े कदम उठाने की सिफारिश की गई है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से अनुरोध किया गया है कि वह विज्ञापनों को नियंत्रित करे.

आम बजट 2025 से पहले संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड (यूपीएफ) की बढ़ती खपत पर चिंता जताई गई है. सर्वेक्षण में कहा गया है कि सरकार को इस समस्या से निपटने के लिए सख्त एफएसएसएआई लेबलिंग मानदंड, उच्च जीएसटी दर और जागरूकता अभियानों जैसे बहुआयामी उपाय अपनाने होंगे.
UPF के बढ़ते प्रभाव पर चिंता
आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि भारत में यूपीएफ की खपत तेजी से बढ़ रही है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी जोखिम बढ़ सकते हैं. इन खाद्य पदार्थों में बहुत ज्यादा चीनी, नमक, संतृप्त वसा (कॉन्सन्ट्रेटेड फैट) और आर्टिफिशियल एडिटिव्स होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं. सर्वे में कहा गया है कि इन उत्पादों पर भ्रामक पोषण संबंधी दावों और सूचनाओं से निपटने की आवश्यकता है.
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) को यूपीएफ के लिए सख्त लेबलिंग मानकों को लागू करने और स्पष्ट परिभाषा व नियमों के तहत इन्हें विनियमित करने पर विचार करने की सलाह दी गई है.
बच्चों और युवाओं के लिए कड़े नियम जरूरी
सर्वेक्षण में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को यूपीएफ से बचाने के लिए कड़े कदम उठाने की सिफारिश की गई है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से अनुरोध किया गया है कि वह विज्ञापनों को नियंत्रित करे.
पैकेट के सामने चेतावनी लेबल लगाए
रिपोर्ट में बताया गया कि 22 देशों के एक अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि खाद्य उत्पादों पर स्व-नियमन प्रभावी नहीं रहा है. ऐसे में ब्रांडेड उत्पादों की सख्त निगरानी से उपभोक्ता विश्वास को मजबूत किया जा सकता है.
स्वस्थ आहार को बढ़ावा देने की सिफारिश
आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी सुझाव दिया गया कि स्थानीय और मौसमी फलों और सब्जियों की खपत को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. स्वस्थ खाद्य पदार्थों जैसे साबुत अनाज, मोटा अनाज, फल और सब्जियों पर सकारात्मक सब्सिडी देने का प्रस्ताव दिया गया है, ताकि उनकी उपलब्धता और खपत में सुधार हो सके.
उपभोक्ता संरक्षण पर जोर
सर्वेक्षण में भ्रामक विज्ञापनों और आक्रामक मार्केटिंग रणनीतियों पर भी चिंता जताई गई है, खासकर जब वे बच्चों और युवाओं को लक्षित करते हैं. सरकार को इन चुनौतियों से निपटने के लिए उपभोक्ता संरक्षण उपायों को मजबूत करने की सिफारिश की गई है.
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