देश का वो वित्त मंत्री जिसे बजट पेश करने का मौका ही नहीं मिला, जवाहरलाल नेहरू सरकार में था बड़ा नाम
Budget 2025: क्या आप जानते हैं कि भारत के इतिहास में एक ऐसा वित्त मंत्री भी हुआ, जिसने वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बावजूद बजट पेश नहीं किया था.

1 फरवरी 2025 को सुबह 11 बजे देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करेंगी. इस बजट से देश के लोगों को बहुत उम्मीदे हैं. वित्त मंत्री के कुछ सबसे बड़े और जरूरी कामों में एक काम होता है देश का बजट बनाना और पेश करना. लेकिन, क्या हो अगर किसी वित्त मंत्री को बजट पेश करने का मौका ही ना मिले. आपको लग रहा होगा कि ऐसा कैसे हो सकता है. लेकिन, ऐसा हुआ है. पंडित जवाहरलाल नेहरू सरकार के एक वित्त मंत्री को बजट पेश करने का मौका नहीं मिला था. चलिए, जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों हुआ था और इसके पीछे क्या बड़ी वजहें थीं.
कौन था वह वित्त मंत्री
भारत का बजट हमेशा से देश की अर्थव्यवस्था की दिशा तय करने वाला सबसे अहम दस्तावेज माना गया. हर साल वित्त मंत्री द्वारा पेश किया जाने वाला यह बजट देश के आर्थिक प्रबंधन और नीतियों की प्राथमिकताओं को दर्शाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के इतिहास में एक ऐसा वित्त मंत्री भी हुआ, जिसने वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बावजूद बजट पेश नहीं किया था. हम जिस वित्त मंत्री की बात कर रहे हैं, उनका नाम है केसी नियोगी.
केसी नियोगी भारत के पहले अंतरिम वित्त मंत्री थे. उन्हें यह जिम्मेदारी 1949 में सौंपी गई थी. उनकी नियुक्ति तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में हुई थी. नियोगी एक जाने-माने अर्थशास्त्री और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर थे.
क्यों नहीं कर पाये बजट पेश?
दरअसल, केसी नियोगी का कार्यकाल केवल चार महीने का रहा और यह इतनी छोटी अवधि थी कि उन्हें बजट तैयार करने और उसे संसद में पेश करने का मौका ही नहीं मिला. उनके बाद 1950 में जॉन मथाई वित्त मंत्री बने और स्वतंत्र भारत का पहला बजट पेश किया. नियोगी का कार्यकाल हालांकि छोटा था, लेकिन उन्होंने भारतीय वित्तीय प्रशासन की नींव मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने आर्थिक नीतियों में स्थिरता लाने और स्वतंत्र भारत की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देने की दिशा में काम किया.
बहुगुणा भी नहीं कर पाये थे बजट पेश
केसी नियोगी के अलावा, एच.एन. बहुगुणा भी एक ऐसे वित्त मंत्री रहे, जो बजट पेश नहीं कर पाए. बहुगुणा ने 1979 में वित्त मंत्री का पद संभाला, लेकिन कुछ ही समय बाद राजनीतिक उथल-पुथल के चलते उन्होंने इस्तीफा दे दिया.
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