Budget 2025: मारुति सुजुकी बोली, डिमांड और खपत बढ़ाने के लिए बजट में ठोस उपायों का हो एलान
India Budget 2025: ऑटोमोबाइल, एफएमसीजी से लेकर कंज्यूमर ड्यूरेबल्स कंपनियां घटते कंजम्प्शन से परेशान हैं. इसका सीधा असर उनके सेल्स पर पड़ रहा है.
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Budget Expectations 2025: कारों के सेल्स की रफ्तार में कमी ने ऑटोमोबाइल कंपनियों की चिंता बढ़ा दी है. ऐसे में देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) ने कहा कि एक फरवरी 2025 को पेश होने वाले आम बजट में कंजम्प्शन की गति में सुधार के लिए कोई भी उपाय सुस्त ग्रोथ से जूझ रहे ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की मदद करेगा.
देश की सबसे बड़ी कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनी को उम्मीद है कि मौजूदा वित्त वर्ष (2024-25) की पिछली तीन तिमाहियों में इसी तरह की ग्रोथ देखने के बाद चौथी तिमाही में उसकी रिटेल सेल्स में लगभग 3.5 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है.
तीसरी तिमाही के नतीजों की घोषणा के बाद एमएसआई के कार्यकारी निदेशक (कॉरपोरेट मामले) राहुल भारती से बजट की उम्मीदों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से जुड़ी ज़्यादातर गतिविधियां अब जीएसटी के दायरे में हैं. लेकिन अगर देश में खपत को गति देने के लिए कोई भी कदम उठाया जाता है, तो यह सभी के लिए अच्छा होगा.”
उन्होंने कहा, “जो भारत के लिए अच्छा है, वह मारुति के लिए भी अच्छा है. मेरा दृढ़ विश्वास है और इसके विपरीत भी, जो मारुति के लिए अच्छा है, वह भारत के लिए भी अच्छा है. इसलिए, अगर अर्थव्यवस्था अच्छी चलती है, अगर खपत बढ़ती है, तो यह हमारे लिए अच्छा होगा.”
मांग परिदृश्य के बारे में पूछे जाने पर भारती ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसंबर के दौरान खुदरा बिक्री में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई. भारती ने कहा, “हमें उम्मीद है कि यह चौथी तिमाही तक जारी रहेगा.’’ मारुति सुजुकी ने अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में करीब 5.73 लाख गाड़ियों की खुदरा बिक्री की है.
उन्होंने बताया कि तीसरी तिमाही में ग्रामीण इलाकों में सेल्स में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि शहरी बिक्री में करीब 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
दरअसल एफएमसीजी से लेकर कंज्यूमर ड्यूरेबल्स कंपनियां घटते कंजम्प्शन से परेशान हैं. इसका सीधा असर उनके सेल्स पर पड़ रहा है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट को लेकर जो भी बैठकें की हैं उसमें सभी अर्थशास्त्रियों से लेकर स्टेकहोल्डर्स ने सरकार ने बजट में खपत और उपभोग बढ़ाने के लिए ठोस उपाये करने को कहा है जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिले.
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