कुछ महीने बाद आसन्न लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी की पहली तारीख को नया बजट आने वाला है. मोदी सरकर के दूसरे कार्यकाल के इस आखिरी बजट में आम लोगों के फायदे के ऐलान हो सकते हैं. एक्सपर्ट की राय है कि बजट में सरकार का फोकस उपभोग बढ़ाने पर होगा. इसके लिए वित्त मंत्री कुछ ऐसे उपायों का ऐलान कर सकती हैं, जिनसे आम लोगों के हाथों में ज्यादा से ज्यादा पैसे पहुंचे.


बजट में किए जा सकते हैं ये ऐलान


न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब एक फरवरी को अपना लगातार छठा बजट पेश करेंगी, इस बात की उम्मीद है कि वह महंगाई को काबू में रखते हुए उपभोग व ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाले उपायों पर फोकस रखें. उपभोग को बढ़ावा देने का एक तरीका ये हो सकता है कि लोगों के हाथों में ज्यादा पैसे पहुंचें. वहीं दूसरा तरीका स्टैंडर्ड डिडक्शन का दायरा बढ़ाकर या टैक्स स्लैब में बदलाव कर टैक्स के बोझ को कम करने वाला हो सकता है.


सरकार के सामने ये भी प्रस्ताव


आम लोगों के हाथों तक ज्यादा पैसे पहुंचाने के बारे में एक प्रस्ताव ये भी है कि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रोजगार गारंटी की योजना मनरेगा में ज्यादा फंड डाले जाएं या किसानों को मिल रही मदद में पैसे बढ़ाए जाएं. महिलाओं व हाशिए पर स्थित अन्य समुदायों के लिए भी बजट में कुछ अतिरिक्त ऐलान किए जा सकते हैं. ये सारे तरीके उपभोग को बढ़ावा देने में मददगार साबित हो सकते हैं.


टैक्स के मोर्चे पर बदलाव की कम उम्मीद


इस बार का बजट चूंकि अंतरिम बजट है, ऐसे में दूसरा तरीका अपनाए जाने की उम्मीद कम ही है. अंतरिम बजट में आम तौर पर टैक्स को लेकर कोई बदलाव नहीं होता है. ऐसे में स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट में बढ़ोतरी या टैक्स स्लैब में किसी बदलाव की गुंजाइश कम ही है. अंतरिम बजट में नई योजनाएं भी नहीं शुरू की जाती हैं. मतलब सरकार के पास पुरानी योजनाओं के जरिए ही उपभोग को बढ़ाने के उपाय करने के विकल्प बचते हैं.


चुनाव के बाद आएगा पूर्ण बजट


अंतरिम बजट की जरूरत चुनावी सालों में पड़ती है. यह पुरानी सरकार और नई सरकार के बीच के ट्रांजिशन पीरियड के दौरान सरकार के जरूरी खर्चों को चलाने पर फोस्ड रहता है. मार्च में वित्त वर्ष समाप्त हो जाता है. लोकसभा का कार्यकाल मई में समाप्त हो रहा है. ऐसे में चुनाव होने और उसक बाद नई सरकार का गठन होने में समय लग सकता है. इस कारण अंतरिम बजट में अप्रैल से लेकर जुलाई तक के 4 महीनों के जरूरी खर्चों का बंदोबस्त किया जाएगा. नई सरकार बाद में पूर्ण बजट लाएगी.


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