Budget Expectations: एमएसएमई सेक्टर को बजट से हैं ये अपेक्षाएं, 2023 के लिए भी बनी हैं ये उम्मीदें
MSME Sector Budget Expectations: देश की अर्थव्यवस्था का एक बेहद अहम हिस्सा यानी MSME सेक्टर की बजट से क्या उम्मीदें और आकांक्षाएं हैं, ये जानने के लिए आप यहां पढ़ सकते हैं.
Budget Expectations: साल 2023 का बजट आने में अब एक महीने से कुछ अधिक समय ही रह गया है. इसी को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कई उद्योग संगठनों और संस्थाओं के साथ बैठकों का दौर भी पूरा कर चुकी हैं. उद्योग संगठन अपनी आशाएं-आकांक्षाएं वित्त मंत्री के सामने रख चुके हैं और अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि वो कितनी पूरी होती हैं और उनको बजट 2023 से क्या हासिल होता है. MSME सेक्टर देश का ऐसा सेक्टर है जो अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस सेक्टर की बजट से क्या अपेक्षाएं हैं ये यहां इस लेख में जान सकते हैं.
MSME सेक्टर के लिए बड़ा अहम समय आया
साल 2023 उस समय को दिखाता है जब भारत अमृत काल में प्रवेश कर रहा है. आने वाले 25 सालों में 2047 का साल आएगा, जो हमारी स्वतंत्रता का 100वां साल होगा, जिस साल तक हम एक विकसित देश या एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखते हैं. इन 25 सालों में अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले MSME का विकास यह निर्धारित करने में एक महत्वपूर्ण कारक होगा कि हम इस लक्ष्य को प्राप्त करेंगे या मध्यम आय वाले बने रहेंगे. पीएचडीसीसीआई ने अगले साल MSME सेक्टर के तेज विस्तार द्वारा आयात को कम करने और डिजिटल परिवर्तन जैसे 2 बड़े रुझानों की भविष्यवाणी की है.
मेक इन इंडिया योजना एमएसएमई को दे रही फायदा
सरकार की देश को आत्मनिर्भर बनाने की चाहत और मेक इन इंडिया योजना एमएसएमई को क्षमता का विस्तार करने और घरेलू बाजारों तक पहुंचने लिए प्रोत्साहित कर रही है. अगले साल, हम उम्मीद कर सकते हैं कि MSME आयात को अपने उत्पादों से बदलकर घरेलू बाजार पर कब्जा कर लेंगे. इससे सरकार द्वारा दिए गए खरीद समर्थन और वोकल फॉर लोकल अभियान को और बढ़ावा मिलेगा. यह खासतौर से स्वदेशी रक्षा निर्माण के लिए सही है. रक्षा खरीद का द्वार खुलने से हम ज्यादा से ज्यादा MSME को रक्षा निर्माण के क्षेत्र में प्रवेश करते हुए देख रहे हैं और हमें उम्मीद है कि यह चलन जारी रहेगा.
डिजिटल तकनीक को अपना रहे MSME
एमएसएमई द्वारा डिजिटल तकनीक को व्यापक रूप से अपनाना एक और चलन है जिसकी उम्मीद हम अगले साल तक के लिए कर सकते हैं. वो दिन चले गए जब एमएसएमई केवल कुछ प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण करना चाहते थे, आज वे पूर्ण रूप से डिजिटलीकरण करने और डिजिटल समाधान अपनाने की दिशा में गंभीर प्रयास कर रहे हैं. यूपीआई, जीएसटी और ई-कॉमर्स ने एमएसएमई को तेजी से डिजिटल होने और बेहतर रिटर्न प्राप्त करने का मौका दिया है.
आने वाले केंद्रीय बजट पर निर्भर करेगी MSME की रफ्तार
यह काफी हद तक आने वाले केंद्रीय बजट पर निर्भर करता है कि अगले साल MSME सेक्टर का विकास और रुझान कैसा रहेगा. 2023-24 का केंद्रीय बजट जियो-पॉलिटिकल संघर्ष, ऊंची महंगाई दर और आर्थिक विकास के क्षेत्र में ग्लोबल मंदी के अनिश्चित माहौल में पेश किया जा रहा है. इस परिस्थिति में हम उम्मीद करते हैं कि सरकार समझ-बूझ कर उठाए जाने वाले कदमों की घोषणा करेगी जो विकास के घरेलू स्रोतों को बढ़ाने के साथ MSME सेक्टर के लिए निर्यात के नए अवसरों का पता लगाएगा.
कानूनों में भी करना होगा बदलाव
भारत में व्यवसाय करने को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार ने पहले ही कई उपाय किए हैं और हाल ही में सरकार ने घोषणा की कि वह संसद के शीतकालीन सत्र में एक नया समग्र गैर-अपराधीकरण बिल पेश करेगी. भारत में व्यवसाय करने को नियंत्रित करने वाले कुल 1,536 कानून हैं, जिनमें आधे से ज्यादा में जेल जाने वाली धाराएं हैं. इसके अलावा, व्यवसायों को 60,000 से अधिक नियमों का अनुपालन पालन करना होता है और उनमें में से हर पांच में से लगभग दो में जेल जाने वाली धाराएं हैं, जहां निवेशक और उद्यमी अभियोजन से डरते हैं, ऐसे माहौल में हम निजी निवेश के फलने-फूलने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं, और हम उम्मीद करते हैं कि बजट के माध्यम से इस मुद्दे पर और ध्यान दिया जाएगा.
MSME के लिए घटनी चाहिए लागत
हम खास तौर से MSME स्तर पर व्यवसाय करने की लागत में भी पर्याप्त कमी किए जाने की उम्मीद करते हैं, जहां कंपनियों के पास अपनी शर्तों पर बातचीत करने के लिए संसाधन नहीं होता है. वर्तमान में भी लघु उद्योगों को भी अनुपालन, लाइसेंस और विनियमों पर 5000-50,000 तक खर्च करना पड़ता है. अनुपालन की लागत टॉप 3 मैन्यूफैक्चरिंग देशों यानी चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी स्कीम को फिर से लाए जाने की उम्मीद
पीएचडीसीसीआई टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट स्कीम के लिए क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी योजना को फिर से लाए जाने की उम्मीद करता है, क्योंकि मॉडर्न टेक्नीक के युग में लगातार अपग्रेड करने और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने के लिए डिजिटल होना MSME के लिए जरूरी है. यह योजना नवीनतम तकनीक अपना कर अपने संयंत्र और मशीनरी का एडवांस करने के लिए MSME द्वारा प्राप्त 1 करोड़ रुपये तक के संस्थागत वित्त पर 15 फीसदी की पूंजीगत सब्सिडी देती है.
सब्सिडी के बारे में होना चाहिए और उत्साहवर्धक फैसला
एमएसएमई निर्यातकों को माल भेजने के पहले और बाद में रुपया निर्यात क्रेडिट के लिए ब्याज समतुल्यीकरण योजना के तहत सब्सिडी मिलती है. एमएसएमई निर्माता निर्यातकों की निर्दिष्ट श्रेणियों के लिए योजना के तहत ब्याज समतुल्यीकरण दरों को संशोधित कर 2 फीसदी और 3 फीसदी कर दिया गया है. पीएचडीसीसीआई सेवा निर्यातकों के लिए इस योजना का विस्तार करने की सिफारिश करता है, जो कुल निर्यात का लगभग 40 फीसदी और एमएसएमई के 90 फीसदी का प्रतिनिधित्व करते हैं. पीएचडीसीसीआई को उम्मीद है कि MSME के लिए 2 फीसदी ब्याज की राजकीय सहायता योजना को फिर से शुरू किया जाएगा और जरूरत के आधार पर MSME को दिया जाएगा.
उम्मीद है कि 2023 का बजट अगले 25 सालों के अमृत काल के लिए प्रधान मंत्री के दृष्टिकोण को रखेगा और इसलिए सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास के मंत्र के अनुरूप होगा.
Note: इस लेख के लेखक PHD चैंबर के प्रेसिडेंट साकेत डालमिया हैं और लेख में प्रकाशित विचार और परामर्श उनके निजी हैं.
ये भी पढ़ें