मोरारजी देसाई के नाम है संसद में सबसे ज्यादा बजट पेश करने का रिकॉर्ड, जानिए 10 दिलचस्प फैक्ट्स
बजट को लेकर आपके दिमाग में कई सवाल होंगे. आज हम आपको बजट से संबंधित 10 दिलचस्प फैक्ट्स बताने जा रहे हैं. इन फैक्ट्स को जानकर आपकी बजट को लेकर समझ बढ़ जाएगी.
नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को अपना पहला बजट पेश करेंगी. उनके सामने देश को आर्थिक मंदी के खतरे से उबारने की चुनौती है. इस बजट से एकबार फिर किसानों, उद्योगों, छोटे कारोबारियों और मध्य वर्ग की अपेक्षाएं हैं. मिडिल क्लास उनसे टैक्स के मोर्चे पर राहत की उम्मीद कर रहा है. वहीं होम बायर्स हाउसिंग सेक्टर को लेकर सरकार क्या एलान करने वाली है इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
बजट शब्द सुनते ही आपके और हमारे दिमाग में कई सवाल कौंधने लगते हैं. हम इसके बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश में लग जाते हैं. आज हम आपको केंद्रीय बजट से जुड़ी ऐसे ही 10 दिलचस्प फैक्ट्स बताने जा रहे हैं.
1. आज़ादी के बाद स्वतंत्र भारत का पहला केंद्रीय बजट 26 नवंबर 1947 को भूतपूर्व वित्त मंत्री आरके शानमुखम चेट्टी की तरफ से पेश किया गया था.
2. भूतपूर्व प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के नाम संसद में सबसे ज्यादा बजट पेश करने का रिकार्ड है. उन्होंने 10 बार केंद्रीय बजट संसद में पेश किया. दूसरे नंबर पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का नाम आता है जो नौ बार संसद में बजट पेश कर चुके हैं. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अपने वित्त मंत्री बनने के दौरान सात बार संसद में बजट पेश कर चुके हैं.
3. साल 1964 और 1968 में 29 फरवरी को मोरारजी देसाई ने अपने जन्मदिन पर केंद्रीय बजट पेश किया था, वे ऐसा करने वाले एकमात्र वित्त मंत्री हैं.
4. 1969 में वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के इस्तीफे के बाद, भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वित्त मंत्रालय का पदभार संभाला. अब तक इंदिरा गांधी एकमात्र महिला हैं जिन्होंने वित्त मंत्रालय का पदभार संभाला.
5. बजट पेश करने से करीब 10-12 दिन पहले एक परंपरागत 'हलवा सेरेमनी' का आयोजन किया जाता है. जिसमें अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए मीठे पकवान के रूप में हलवा तैयार किया जाता है. इस हलवा को खुद वित्त मंत्री की तरफ से बनवाया जाता है. हलवा सेरेमनी का पारंपरिक महत्व यह है कि किसी भी महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत से पहले मीठा खाया जाना चाहिए. मीठे पकवान को खाने के बाद ये अधिकारी देश-दुनिया से पूरी तरह कट कर नॉर्थ ब्लॉक में रहते हैं और बजट का दस्तावेज तैयार करते हैं. इन कर्मचारियों से ना कोई मिल सकता और ना ही इन कर्मचारियों को किसी से बात करने की इजाजत होती है. बजट का काम पूरी गोपनीयता में किया जाता है.
6. 1997-98 में संवैधानिक संकट गहराने के बाद केंद्रीय बजट को बिना किसी बहस के पारित किया गया था. उस दौरान वित्त मंत्री आईके गुजराल ने अपने मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया था. वित्तीय वर्ष 1997-98 के केंद्रीय बजट को पारित करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था.
7. वित्त मंत्री पी चिदंबरम की तरफ से पेश किए गए वित्तीय वर्ष 1997-98 के केंद्रीय बजट को 'ड्रीम बजट' कहा गया था, क्योंकि उस वक्त कई आर्थिक सुधार किए गए थे जिनमें - आयकर दरों में कमी, कॉर्पोरेट टैक्सों पर सरचार्ज हटाने और कॉरपोरेट टैक्स दरों में कमी करना शामिल था.
8. साल 1999 तक फरवरी के आखिरी वर्किंग डे के दिन शाम 5 बजे केंद्रीय बजट की घोषणा की जाती थी. एनडीए सरकार के पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने साल 1999 में सुबह 11 बजे बजट पेश किया. इसके बाद यह परंपरा बन गई और बजट फरवरी के आखिरी वर्किंग डे के दिन सुबह 11 बजे पेश किया जाने लगा. हालांकि, साल 1991 में बजट सुबह 11 पेश किया जा चुका है.
9. 2016 तक केंद्रीय बजट फरवरी के अंतिम वर्किंग डे पर संसद में पेश किया जाता रहा. मगर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साल 2017 में परंपरा बदल दी और केंद्रीय बजट 1 फरवरी पेश किया.
10. इसी तरह 2016 तक केंद्रीय बजट से कुछ दिन पहले रेल बजट पेश किया जाता था. साल 2017 में रेल बजट को केंद्रीय बजट के साथ ही पेश किया गया. ऐसा होने से पिछली 92 साल की पुरानी परंपरा को बदल गई और रेल बजट और आम बजट एक साथ पेश होने लगा.