BUDGET 2019: इस बार मेट्रो के लिए बजटीय आवंटन 25-30% तक बढ़ने की उम्मीद
मेट्रो रेल ट्रांसिट सिस्टम (एमआरटीएस) के तहत होने वाले खर्च में गिरावट देखी गई है और जहां साल 2017-18 में ये 18,000 करोड़ रुपये था वहीं 2018-19 के लिए इसे 15,000 करोड़ रुपये तक ही सीमित देखा गया.
नई दिल्लीः बजट आने में बस दो दिन बाकी रह गए हैं, ऐसा माना जा सकता है कि सरकार की लगभग तैयारियां पूरी हो चुकी होंगी. ऐसे में सबके मन में ये सवाल है कि देश के किस हिस्से, सेक्टर के लिए सरकार की पोटली से ज्यादा कुछ निकलने वाला है. ऐसे में मेट्रो नेटवर्क के लिए अच्छी खबर आने का अनुमान है.
इकनॉमिक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बजट में मेट्रो के लिए अब तक का सबसे बड़ा व्यय प्रावधान देखा जा सकता है. इसके तहत सरकार मेट्रो निर्माण के नए फेज के लिए भी एलान कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक सरकार मेट्रो निर्माण के लिए जो बजट होगा उसमें 25-30 तक का इजाफा कर सकती है. इसके अलावा 2019-20 के लिए मेट्रो नेटवर्क का विस्तार 16 शहरों तक के लिए किया जा सकता है.
सूत्रों के मुताबिक ये भी पता चला है कि बजट पूर्व चर्चाओं में शहरी और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इन विभागों में खर्च को 20 फीसदी बढ़ाने की सिफारिश की थी. इसमें भी सबसे ऊपर था मेट्रो नेटवर्क का विस्तार का क्षेत्र जिसके खर्च को 25 से लेकर 30 फीसदी तक बढ़ाने का प्रस्ताव विभिन्न बैठकों में रखा गया.
मेट्रो रेल ट्रांसिट सिस्टम (एमआरटीएस) के तहत होने वाले खर्च में गिरावट देखी गई है और जहां साल 2017-18 में ये 18,000 करोड़ रुपये था वहीं 2018-19 के लिए इसे 15,000 करोड़ रुपये तक ही सीमित देखा गया. अब जबकि मेट्रो के विस्तार के लिए कई मेट्रो प्रोजेक्ट पाइपलाइन में हैं तो तो इनके खर्चे में बढ़ोतरी होने की उम्मीद स्वाभाविक है.
शहरी परिवहन और हाउसिंग की शहरों के लिए सबसे ज्यादा मांगें रही हैं. एक सूत्र के मुताबिक सरकार आगामी अंतरिम बजट में इन दोनों पर ही फोकस कर सकती है. इस मंत्रालय का बजट इस साल करीब 50,000 करोड़ रुपये हो सकता है जो कि साल 2018-19 के बजट 40,000 करोड़ रुपये से 20 फीसदी ज्यादा है.
दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण की शुरुआत का एलान संभव इसके अलावा ये भी खबरें आ रही हैं कि दिल्ली मेट्रो का चौथा चरण शुरू किया जा सकता है और इसका एलान आने वाले अंतरिम बजट में किया जा सकता है. हालांकि ये मुद्दा केंद्र सरकार और दिल्ली की अरविंद केजरीवाल के विवाद के मुख्य कारणों में से भी रहा है. दिल्ली सरकार ने इसका प्रपोजल या प्रस्ताव दिसंबर 2018 में तैयार कर केंद्र सरकार के पास भेज दिया है और इसके लिए माना जा रहा है कि सरकार इसके लिए कुछ बजटीय आवंटन कर सकती है.
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