बजट 2019: कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, स्मार्टफोन इंडस्ट्री की बजट से हैं ये उम्मीदें
मोदी सरकार ने अपने पिछले बजट में कंज्यूमर ड्यूरेबल्स प्रोडक्ट्स और स्मार्टफोन उद्योग पर बोझ कम करने की लगातार कोशिश की है. इसका असर बाजार पर भी दिखता है.
नई दिल्ली: मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम बजट को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं. अब जबकि ये मोदी सरकार के इस कार्यकाल का अंतिम वर्ष है तो सरकार इसमें अंतरिम बजट पेश करेगी. मोदी सरकार ने अपने पिछले बजट में कंज्यूमर ड्यूरेबल्स प्रोडक्ट्स और स्मार्टफोन उद्योग पर बोझ कम करने की लगातार कोशिश की है. इसका असर बाजार पर भी दिखता है. इस बार देखना दिलचस्प होगा कि सरकार बजट में इस सेक्टर को क्या सौगात देती है.
2018 के बजट में रूरल सेक्टर पर फोकस से कंज्यूमर ड्यूरेबल्स को फायदा
साल 2018 के बजट में ग्रामीण विकास को बढ़ावा दिया गया था, जो कि कंज्यूमर ड्यूरेबल्स प्रोडक्ट्स के लिए काफी फायदेमंद रहा था. हालांकि 2018 के बजट में कंज्यूमर ड्यूरेबल प्रोडक्ट्स को GST से कोई खास राहत नहीं मिली थी और ज्यादातर प्रोडक्ट को 28% और 18% के टैक्स स्लैब में रखा गया था.
इलेक्ट्रोनिक्स बाजार तेजी से बढ़ा कंज्यूमर ड्यूरेबल्स बाजार भारत में सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक है. मध्यम वर्ग की बढ़ती डिस्पोजेबल आय और शून्य-ब्याज ईएमआई जैसी आसान क्रेडिट सुविधाएं इसके लिए फायदेमंद रही हैं. ग्रामीण भारत का इलेक्ट्रिफिकेशन और ग्रामीण आय में वृद्धि की वजह से कंज्यूमर ड्यूरेबल्स प्रोडक्ट्स जैसे रेफ्रिजरेटर, टेलीविजन सेट, म्यूजिक सिस्टम का गांवों और दूर-दराज के क्षेत्रों में इनका उपयोग बढ़ा है. ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस के बढ़ते बजार और होम शॉपिंग की वजह से भी भारत में उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार तेजी से बढ़ा है. स्मार्टफोन इंडस्ट्री का हाल
स्मार्टफोन उद्योग में भी पिछले कुछ सालों में बढ़ा बदलाव आया है. प्रतिस्पर्धी मोबाइल सेवा शुल्क की वजह से हैंडहोल्ड बाजार में भी बिक्री में भारी वृद्धि देखी गई है. इंटरनेट डाटा की कम कीमतें, ओटीटी प्लेटफार्मों और सोशल मीडिया का बढ़ता क्रेज इस सेक्टर के लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ है. भारत को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन का बाजार माना जाता है. जुलाई 2018 से सितंबर 2018 तक 3 महीने की अवधि के बीच भारत में 40.1 मिलियन स्मार्टफोन बेचे गए थे.
भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार की तेज ग्रोथ की उम्मीदें
विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार 2017 से 2020 तक 41% सीएजीआर (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट) की दर से बढ़त हासिल करेगा. सरकार भी इस सेक्टर पर काफी ध्यान दे रही है. इसलिए जुलाई 2018 में, रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन, छोटे स्क्रीन टीवी, स्टोरेज वॉटर हीटर, हेयर ड्रायर, मिक्सर ग्राइंडर, वैक्यूम क्लीनर आदि जैसे उपभोक्ता ड्यूरेबल्स पर लग रही 28% की जीएसटी दर को कम करके 18% कर दिया गया था.
बजट 2019 में अगर सरकार पर्सनल इनकन टैक्स पर छूट देती है तो वेतनभोगी वर्ग के हाथों में ज्यादा डिस्पोजेबल आय होगी, जिससे कंज्यूमर ड्यूरेबल्स प्रोडक्ट्स और स्मार्टफोन बाजार को बढ़ावा मिलेगा. मोदी सरकार ने अतीत में निवेशकों को लुभाने की हर संभव कोशिश की है. सरकार ने इस क्षेत्र में 100% एफडीआई को मंजूरी दे दी थी. सरकार के इस अंतरिम बजट से एक बार फिर से बाजार को बहुत उम्मीदें हैं.
यह भी पढ़ें:
बजट 2019: क्या है देश में ऑटो सेक्टर की हालत, बजट से क्या हैं उम्मीदें
बजट 2019: इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री को काफी उम्मीदें, बन सकता है पॉजिटिव माहौल