बजट 2019: बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर की क्या है हालत, इस बार हैं ये उम्मीदें
भारत उभरते देशों में चौथा सबसे बड़ा 'रिटेल लोन मार्केट' है. वित्त वर्ष 2018 में देश का डिजिटल उधार 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया.
नई दिल्ली: बजट 2019 का वित्त मंत्री अरुण जेटली का लगातार छठा बजट होगा. अरुण जेटली ने अपने 2018 के बजटीय भाषण में बैंकों के लिए कई उपायों की घोषणा की थी. इनका फायदा बीएफएसआई यानि बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा क्षेत्र को प्रत्यक्ष और साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से हुआ थी. सरकार ने कृषि उपज के लिए एमएसपी की स्थापना (खरीफ फसलों) और कृषि ऋण में 10 फीसदी की वृद्धि और बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार किया था. इसके अलावा, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों यानि की आरआरबी को ग्रामीण क्षेत्रों के लिए डेबिट फ्लो को आसान करने के लिए बाजार से पूंजी जुटाने का प्रस्ताव दिया था. पिछले साल बीजेपी सरकार ने नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) द्वारा फाइनेंशियल इंक्लूजन फंड से 204,000 प्वाइंट ऑफ सेल (PoS) टर्मिनल्स को मंजूरी दी थी.
बजट 2018 के दौरान, वित्त मंत्री ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के क्रेडिट ग्रोथ का सपोर्ट करके एमएसएमई को आसान आपूर्ति का प्रस्ताव दिया था. इसके साथ ही माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज और माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी (मुद्रा) के लिए क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम ने एमएसएमई को आगे बढ़ाया था. इन सब के साथ ही आम आदमी के लिए 2018 के बजट में 'जन धन खाताधारकों' को बीमा और पेंशन लाभ का ज्यादा लाभ मिले इसके लिए वरिष्ठ नागरिकों के लिए आय पर ब्याज छूट की सीमा को बढ़ा दिया था.
भारत उभरते देशों में चौथा सबसे बड़ा 'रिटेल लोन मार्केट' है. वित्त वर्ष 2018 में देश का डिजिटल उधार 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया. बैंकिंग सेक्टर में पिछले कुछ सालों में IMPS और मोबाइल इंटरनेट बैंकिंग जैसी तकनीक को बढ़ावा दिया गया है. मोदी सरकार का लक्ष्य मार्च 2019 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 5.99 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करना है. वित्तीय सेवा क्षेत्र में, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) द्वारा निवेश नवंबर 2018 तक 899.12 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया.
घरेलू मोर्चे पर, सरकार ने वित्तीय सेवाओं की ग्रामीण क्षेत्रों में पैठ को बढ़ावा देने के लिए 'इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक' (IPPB) अभियान शुरू किया है. 'कैशलेस इकोनॉमी' के लिए सरकार के जोर ने देश के 'मोबाइल वॉलेट इंडस्ट्री' को काफी बढ़ावा दिया है. अनुमान है कि 2022 तक 'मोबाइल लेनदेन' में 150 फीसदी CAGR की वृद्धि होगी. एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) ने अप्रैल-नवंबर 2018 के बीच भारत में म्यूचुअल फंड्स इंडस्ट्री को 342.01 बिलियन डॉलर का बताया है.
2019 के बजट में सरकार से सबसे बड़ी मांग है कि वो टैक्स में छूट की सीमा को दोगुना कर दे. अगर जीवन बीमा या टर्म इंश्योरेंस योजनाओं पर अलग से छूट की घोषणा की जाती है, तो बीएफएसआई सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा. दूसरी ओर, बैंक ब्याज पर टीडीएस को संशोधित करने की जरूरत है. क्योंकि इसके लिए जो मानदंड आखिरी बार साल 1997 में निर्धारित किए गए थे. इसी तरह, होम लोन के ब्याज पर छूट देकर वेतनभोगी वर्ग को आकर्षित किया जा सकता है. सरकार को बैंकिंग क्षेत्र की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) को एड्रेस करने के लिए एक ब्लू प्रिंट भी पेश करना चाहिए.
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