नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को 'मोदी सरकार 2' के कार्यकाल का पहला बजट पेश करने वाली हैं. अब जबकि वित्त मंत्रालय की कमान एक महिला के हाथ में है, तो उम्मीद है कि आने वाले बजट में महिलाओं की जरूरतों का खास खयाल रखा जाएगा और उनके लिए जरूर कुछ खास प्रावधान किए जाएंगे. हम आपको बताते हैं इस बार के बजट से महिलाओं को क्या उम्मीदे हैं.
महिलाओं की वित्तीय मदद के लिए उठाए जा सकते हैं कदम
नील्सन-ब्रिटानिया रिसर्च के मुताबिक भारत में लगभग 48 फीसदी गैर-कामकाजी घरेलू महिलाएं कोई बिजनेस शुरू करके आत्मनिर्भर होना चाहती हैं. लेकिन सामजिक नियम कायदों और स्किल में कमी होने के कारण वो इस क्षेत्र में ज्यादा कुछ नहीं कर पाती हैं. सरकार महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम (एसटीईपी) के लिए सहायता प्रदान करती है, लेकिन पिछले बजटीय आवंटन में इसे 40 करोड़ रुपये से घटाकर 5 करोड़ रुपये कर दिया गया था. इसे बढ़ाया जा सकता है.
महिला सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत
भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में आज महिला सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है. महिला सुरक्षा एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे लेकर इस बजट में खास ध्यान दिए जाने की जरूरत है. देश भर के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में महिला सुरक्षा के लिए मोबाइल एसओएस, सार्वजनिक परिवहन में कैमरा निगरानी जैसे उन्नत तकनीकी साधन का उपयोग किए जाने की उम्मीद है. इसके साथ ही महिला पुलिस बल को और बढ़ाया जा सकता है. बजट में इस मद में और आवंटन बढ़ाए जाने की उम्मीद की जा रही है.
टैक्स में छूट देकर वित्तीय रूप से की जा सकती है मदद
इस साल के अंतरिम बजट में मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए ईपीएफ में कटौती करते हुए उसे 12 फीसदी से कम करके 8 फीसदी कर दिया था. मोदी सरकार के इस कदम का सभी ने स्वागत किया था. बहुत से क्षेत्रों में महिलाएं अपने पुरुष समकक्षों के तुलना में कम कमाती हैं, इसे ध्यान में रखते हुए उन्हें टैक्स में ज्यादा राहत देकर वित्तीय रूप से अधिक मजबूत किया जा सकता है. बजट में ऐसे ही कुछ और टैक्स नियमों में राहत के कदम उठाए जाने की उम्मीद महिलाएं कर रही हैं.
मातृत्व अवकाश (maternity leave) की तरह पैतृक अवकाश (parental leave) की है मांग
2019 के अंतरिम बजट में, नेशनल क्रेच स्कीम में बजटीय आवंटन में 200 करोड़ रुपये से 128 करोड़ रुपये तक की कमी देखी गई. आज के वक्त में जहां पति-पत्नी दोनों काम कर रहे हैं, ऐसे में बच्चों की परवरिश पर पूरी तरह से ध्यान नहीं दे पाते हैं. अगर वित्त मंत्री इस बजट में मातृत्व अवकाश (maternity leave) की तर्ज पर पैतृक अवकाश (parental leave) की मांग पर ध्यान देती हैं, तो ये काफी फायदेमंद होगा.
उज्जवला योजना को माना गया था गेमचेंजर, इसका दायरा बढ़ाया जा सकता है
लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार की जीत में उज्जवला योजना का काफी योगदान माना गया था. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में सरकार ने 8 करोड़ गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा था, इसमें से वो 6 करोड़ कनेक्शन देने में सफल भी रही थी. 5 जुलाई के बजट में वित्त मंत्री इस क्षेत्र में और भी ज्यादा काम कर सकती हैं.
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