नई दिल्लीः बजट को लेकर हलचल अपने चरम पर है और बजट पेश होने में सिर्फ 3 दिन बचे हैं. 4 जुलाई को आर्थिक सर्वेक्षण आएगा और 5 जुलाई को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने ये बजट काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाला है क्योंकि देश भर की उम्मीदों भरी निगाहें उनकी तरफ लगी हुई हैं. सभी को इंतजार है कि वित्त मंत्री के पिटारे से इस बार कुछ ऐसी सौगातें निकलेंगी जो उनके जीवन के आर्थिक पहलू को और आसान बनाएंगी.
ऐसे समय में जब देश के एक हिस्से में चमकी बुखार के प्रकोप से सैकड़ों जानें जा चुकी हैं, हेल्थकेयर सेक्टर को लेकर सरकार के सामने काफी चैलेंज हैं कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं के सुधारों की दिशा में बड़ा काम किया जाए. सरकार की आयुष्मान योजना के तहत देश के 50 करोड़ लोगों को बेहतर मेडिकल सुविधाएं पहुंचाने की जो कोशिश सरकार की है उसके अलावा भी हेल्थकेयर सेक्टर में बड़ा काम करना जरूरी है.
हेल्थकेयर सेक्टर की इस बजट से क्या उम्मीदें हैं-
इंश्योरेंस पॉलिसीजी पर जीएसटी घटाया जाए- पॉलिसीमेकर्स को इंश्योरेंस पॉलिसी पर जीएसटी घटाए जाने की उम्मीद है. वैसे ही देश में हेल्थकेयर को लेकर ज्यादा जागरुकता नहीं है और इसके लिए लोग पॉलिसी लेने से बचते हैं. ऐसे में ये मांग है कि पॉलिसी पर लगने वाले 18 फीसदी को घटाया जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग ऐसी पॉलिसी को लेने के लिए
प्रोत्साहित हो सकें.
स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण की दिशा में कदम उठाए जाएं- सरकार को हेल्थकेयर सेक्टर में निजीकरण की योजना पर ध्यान देना चाहिए जिससे क्वालिटी स्वास्थ्य सुविधाओं तक आम जनमानस की पहुंच हो सके. इसके लिए सरकार एक एजेंसी बना सकती है जो इसकी मॉनिटरिंग करे और हेल्थकेयर सेक्टर के तहत लोगों के पास बेहतर मेडिकल सुविधाएं आ सकें.
सिगरेट-तंबाकू जैसे उत्पादों के सेवन को कम करने के लिए सरकार कार्यक्रम चलाए- कैंसर जैसी बीमारी देश में पांव प्रसारती जा रही है और इसकी रोकथाम के लिए सरकार को ऐसे जागरुकता कार्यक्रम चलाने चाहिए जिससे लोगों को सिगरेट-तंबाकू के सेवन से दूर किया जा सके. हालांकि किसानों के लिए सरकार को कुछ ऐसी योजनाएं चलानी चाहिए जिससे वो सिर्फ सिगरेट के उत्पादन के जरिए कमाई पर निर्भर न रहें और वैकल्पिक उपायों पर काम करें जिससे उनका आमदनी पर असर न हो.
हेल्थकेयर सेवाओं पर शून्य जीएसटी लगे- हेल्थकेयर सेवाओं के लिए शून्य जीएसटी का प्रावधान किया जाना चाहिए. फिलहाल इस सेक्टर के लिए जो इनपुट लगते हैं उन पर जीएसटी छूट का प्रावधान है. मांग की जा रही है कि इन्हें जीरो जीएसटी के दायरे में घोषित कर दिया जाए जिससे कि इन पर अदा किए गए टैक्स पर रिफंड क्लेम करने की बजाए इन पर टैक्स लगे ही न.
इमरजेंसी हेल्थकेयर सेक्टर के लिए फंड्स का आवंटन- इमरजेंसी हेल्थकेयर सेक्टर के लिए सरकार को तुरंत बजटीय आवंटन बढ़ाया चाहिए जिससे इस क्षेत्र में आ रही दिक्कतों को दूर किया जा सके. हालांकि सरकार बाइक एंबुलेंस, बोट एंबुलेंस, मोबाइल मेडिकल यूनिट्स का दायरा बढ़ा रही है और इससे खासकर ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हो रही हैं. लेकिन इनके लिए खासतौर पर राज्य सरकारों की तरफ सो ज्यादा आवंटन हो रहा है लिहाजा केंद्र सरकार को भी इस सेक्टर में फंड एलोकेशन बढ़ाना चाहिए.
मेडिकल डिवाइस के रिसर्च-अनुसंधान पर खर्च बढ़ाए जाना- मेडिकल इक्विपमेंट्स पर ऊंची कस्टम ड्यूटी को कम किेए जाने की जरूरत है. मेडिकल डिवाइसेज के लिए ऊंची रिसर्च-अनुसंधान खर्च को घटाए जाने के लिए बजट में कुछ प्रावधान लाए जाने चाहिए. ऐसे इक्विपमेंट पर कस्टम ड्यूटी घटाकर 2.5 फीसदी किए जाने की जरूरत है जिससे अस्पतालों में अच्छे
उपकरणों को बड़ी तादाद में लगाया जा सके.
प्री-हॉस्पिटल ट्रॉमा केयर की सुविधाएं बढ़ाना- हमारे देश में हर 2 मिनट में वाहन एक्सीडेंट रिपोर्ट होते हैं और हर 8 मिनट में भारतीय सड़कों पर किसी शख्स की मौत होती है. ऐसी स्थिति में देश में प्री-हॉस्पिटल ट्रॉमा केयर की सुविधाएं बढ़ाना जरूरी हो जाता है क्योंकि शुरुआती दौर में अगर इलाज बेहतर मिल जाए तो घायल लोगों की जान बचाई जा सकती है.
अगर सरकार आयुष्मान योजना के फायदे के अलावा आम जनमानस तक स्वास्थ्य सेवाओं का असली फायदा पहुंचाना चाहती है तो उसे हेल्थकेयर सेक्टर के विभिन्न भागों पर लग रहे टैक्स को घटाना चाहिए, सेवाओं की उपलब्धता और आसान बनानी चाहिए.
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