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बजट 2019: जानिए आजादी के बाद कैसा था देश का पहला आम बजट
खाली खजाने और बंटवारे का दंश सहने के बाद भारत ने जिस से आर्थिक तरक्की की है, उसकी मिसाल दुनिया में दी जाती है. आज हम आपको बताते हैं कि देश का पहला बजट किस तरह का था.
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नई दिल्ली: भारत आज दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में से एक है. लेकिन आजादी के बाद अंग्रेजों ने भारत के खजाने को पूरी तरह से खाली कर दिया था. इसके अलावा बंटवारे की वजह से आर्थिक परेशानियां कहीं ज्यादा बढ़ गई थी. इन सब के बाद भी जिस तरह से हमारे देश ने आर्थिक तरक्की की उसकी मिसाल दुनिया में कम ही देखने को मिलती है. अब जब बजट पेश होने में एक दिन का वक्त बचा है तो हम आजादी के बाद पहले बजट को याद कर लेते हैं कि उस समय क्या परिस्थिति रही थी और उनका किस तरह से सामना किया गया था.
देश का पहला बजट पेश करते समय तत्कालीन वित्त मंत्री आरके शणमुखम चेट्टी के सामने विशाल चुनौतियां थीं और उन सबको अपने बजट में उन्होंने शामिल करने की कोशिश की थी. हम आपको बताते हैं कि देश के पहले बजट में राजस्व से लेकर अलग-अलग मदों पर खर्च की रूपरेखा क्या थी.
1. आजाद भारत के पहले बजट को पेश करते वक्त तत्कालीन वित्त मंत्री आरके शणमुखम चेट्टी ने कहा था, 'मैं स्वतंत्र भारत का पहला बजट पेश कर रहा हूं. इस अवसर को एक ऐतिहासिक पल माना जा सकता है और मैं इसे एक दुर्लभ विशेषाधिकार मानता हूं, जो ये अवसर मुझे मिला है. इस सम्मान के साथ मैं उन जिम्मेदारियों को भी समझता हूं, जो भारत के फाइनैंस कस्टोडियन रूप में मुझे मिली है.'
2. आर्थिक मामलों की एक वेबसाइट के अनुसार, आरके शणमुखम चेट्टी द्वारा प्रस्तुत बजट के वक्तव्य में 15 अगस्त, 1947 से 31 मार्च, 1948 तक के साढ़े सात महीने की अवधि को कवर किया गया.
3. बजट पेश करने के दौरान आरके शणमुखम चेट्टी ने अपने भाषण में कहा था कि देश के विभाजन और पुरानी केंद्र सरकार के स्थान पर दो स्वतंत्र सरकारों के उदय के साथ, 1947-1948 के लिए बजट मार्च में पारित हो गया.
4. स्वतंत्र भारत के पहले बजट का राजस्व 171.15 करोड़ रुपये था.
5. भारत के राजकोषीय घाटे का अनुमान 26.24 करोड़ रुपये पर था.
6. डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स वेबसाइट के मुताबिक साल के लिए कुल खर्च के लिए 197.29 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया था.
7. रक्षा सेवाओं के लिए 92.74 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया था.
8. सीमा शुल्क रसीद में 50.5 करोड़ रुपये की राशि रखी गई थी.
9. पूंजी परिव्यय के लिए 56.59 करोड़ प्रदान किए गए, जिसमें राज्यों को अनुदान के लिए 20.39 करोड़ रखे गए.
10. राजस्व आय विभागों या योजनाओं पर व्यय के लिए 26.96 करोड़ प्रदान किए गए थे.
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रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार
Opinion