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बजट 2019: जानें उन पांच बजट के बारे में जिन्होंने बदल कर रख दी भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर

1991 में मनमोहन सिंह ने उदारीकरण की नीति को अपनाया था और देश का बाजार पूरी दुनिया के लिए खोल दिया था. तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए भुगतान संतुलन को स्थिर करने के लिए ये उठाया गया एक बड़ा कदम था.

नई दिल्ली: अब जब बजट पेश होने में सिर्फ 9 दिन बाकी रह गए हैं और बजट दस्तावेज छपने की प्रक्रिया चल रही है. ऐसे में क्या आपको पता है आजादी के बाद जब पहला बजट पेश किया गया था तब सरकार को लोगों की आम जरूरतों तक को पूरा करने तक में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था. आज हम आपको आजाद भारत के ऐसे ही पांच बजट के बारे में बताते हैं जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था के बदलाव में बहुत बड़ा योगदान दिया.

बजट 1947-48

देश का पहला बजट वित्त मंत्री आर.के. शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था. ये बजट ऐसे समय पेश किया गया था स्वतंत्र भारत को खाद्य संकट, विभाजन के बाद शरणार्थियों के पुनर्वास, एक मजबूत रक्षा प्रणाली की बहुत ज्यादा जरूरत थी. उस वक्त संसद में बजट पेश करते हुए आर.के. शनमुखम चेट्टी कहा, "मैं किसी भी तरह से अपनी वर्तमान कठिनाइयों को कम करने और तय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जरूरी कोशिशों को कम नहीं करना चाहता हूं. जब हम सामान्य स्थिति में पहुंच जाएंगे तब अपने रक्षा व्यय को कम करके आयात पर अपनी निर्भरता को कम करने में सक्षम जाएंगे." ये बजट आजाद भारत का पहला बजट था. इस समय देश खाद्य संकट, शरणार्थियों के पुनर्वास और पाकिस्तान के साथ युद्ध जैसी समस्या से बड़े पैमाने पर जूझ रहा था.

बजट 1951-52

एफएम जॉन मथाई ने इस ऐतिहासिक बजट में भारत में योजना आयोग की शुरुआत की. जॉन मथाई ने इस बजट को पेश करते हुए कहा था, "विकास के हमारे मौजूदा कार्यक्रम और उत्पादन की हमारी मौजूदा योजनाओं की समीक्षा करना जरूरी हैं. हमारे वर्तमान कार्यक्रम भौगोलिक और फाइनेंशियल फैक्ट पर आधारित नहीं है. हमारे मौजूदा कार्यक्रम जिन वित्तीय संसाधनों पर आधारित हैं वो भी अब मान्य नहीं है. इन तथ्यों के मद्देनजर, सरकार ने राष्ट्रपति द्वारा घोषित योजना आयोग का गठन करने का निर्णय लिया है."

बजट 1968-69

1968-69 के बजट में मोरारजी देसाई ने एमएसएमई को उत्पाद शुल्क का 'स्व-मूल्यांकन प्रणाली' को पेश किया था. मोरारजी देसाई ने निर्माताओं पर भरोसा रखा और घोषणा करते हुए कहा, "पिछले कुछ समय से एक्साइज डिपार्टमेंट पर प्रशासनिक बोझ और नियंत्रण की मौजूदा प्रणाली के दुरुपयोग की शिकायतों बहुत ज्यादा आ रही हैं. इसलिए मैंने सभी बड़े और छोटे निर्माताओं के लिए 'स्व-मूल्यांकन' की प्रणाली का विस्तार करने का निर्णय लिया है."

बजट 1986-87

वीपी सिंह ने अंतिम उपयोगकर्ता यानि आम आदमी पर बोझ कम करने के लिए MODVAT क्रेडिट सिस्टम की शुरुआत की थी. इस प्रणाली के तहत वस्तु के ऊपर टैक्स के बार-बार दोहराव होने से रोका गया. कराधान प्रणाली को ठीक करने के लिए MODVAT क्रेडिट सिस्टम की शुरुआत की गई थी. इसके तहत फाइनल प्रोडक्ट के बजाए रॉ मैटीरियल पर ड्यूटी लगाए जाने की शुरुआत की गई.

बजट 1991-92

आजाद भारत में किसी बजट का आज भी सबसे ज्यादा महत्व है तो वो है मनमोहन सिंह के द्वारा 1991-92 में पेश किए गया बजट की. 1990 के दशक में भारत की अर्थव्यवस्था बहुत ही बुरी स्थिति में पहुंच गई थी. सरकार के सामने बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया था. यहां तक की देश को अपना सोना भी गिरवी रखना पड़ा था. तब मनमोहन सिंह ने उदारीकरण की नीति को अपनाया था और देश का बाजार पूरी दुनिया के लिए खोल दिया था. तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए भुगतान संतुलन को स्थिर करने के लिए उठाया गया ये एक बड़ा कदम था.

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