नई दिल्ली: इस साल फरवरी के अंतरिम बजट में मोदी सरकार ने देश के करदाता के लिए बड़ी राहत का एलान किया था. अब उम्मीद की जा रही है कि आगामी बजट में भी टैक्सपेयर्स के लिए फिर से कोई बड़ा एलान किया जा सकता है. इन सब के बीच एक फिर से आयकर कानून का 'सेक्शन 80C' चर्चा में आ गया है. हम आपको बताते हैं आयकर कानून के सेक्शन 80C के बारे में.
'सेक्शन 80C' 1961 के टैक्स कानून का एक हिस्सा है. इस सेक्शन में उन इनवेस्टमेंट माध्यमों के बारे में बताया गया है, जिनमें इनवेस्ट करके टैक्स में छूट का दावा किया जा सकता है. इस सेक्शन के बारे में सबसे ज्यादा चर्चा साल के आखिर में होती है, जिस समय टैक्स में बचत के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है.
अपने निवेश को सेक्शन 80C के अंतर्गत लाने के लिए म्यूचुअल फंड के टैक्स फंड (ईएलएसएस), NPS, PPF, जीवन बीमा पॉलिसी, सेविंग्स फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम, पोस्ट ऑफिस की सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम और नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट में निवेश किया जा सकता है.
पिछले कछ वक्त से इसमें निवेश की सीमा पर मिलने वाली छूट को बढ़ाकर 2 लाख से लेकर 2.50 लाख रुपये तक करने की मांग की जा रही है. फिलहाल इसमें 1.50 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं. इसके साथ ही जरूरी है कि जिस वित्त वर्ष में आप इसमें निवेश करना चाहते हैं, उस वित्त वर्ष में 31 मार्च से पहले निवेश करें.
इसके सााथ ही इसमें बच्चों की ट्यूशन फीस पर भी छूट मिलती है. इसके लिए आपको स्कूल से एक सर्टिफिकेट लेकर जमा करना पड़ता है. ये सिर्फ इकलौता खर्च होता है जो सेक्शन 80C के तहत आता है, लेकिन इसे निवेश नहीं माना जाता है.
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