नई दिल्ली: हाल में हुए एक सर्वे में पता चला है कि अधिकांश भारतीय टैक्सपेयर्स को इस बात की उम्मीद नहीं है कि पांच जुलाई को पेश किए जाने वाले आगामी केंद्रीय बजट में प्रत्यक्ष कर नीति में कोई बड़ा बदलाव हो सकता है.


केपीएमजी के बजट से पहले सर्वे में शामिल किए गए टैक्स पेयर्स में से लगभग 53 प्रतिशत महसूस करते हैं कि प्रत्यक्ष करों पर कोई बड़ी घोषणा नहीं होने वाली है. लगभग 27 प्रतिशत का कहना है कि बड़े बदलाव होंगे, जबकि 20 प्रतिशत किसी बदलाव के बारे में सुनिश्चित नहीं हैं.


एक रिपोर्ट में कहा गया है, "नई और आसान डायरेक्ट टैक्स संहिता (डीटीसी) तैयार की जा रही है, और अधिकांश लोगों को मानना है कि केंद्रीय बजट 2019-20 में प्रत्यक्ष कर नीति में किसी बड़े बदलाव की घोषणा नहीं होने वाली है."


रिपोर्ट में कहा गया है, "न्यूनतम वैकल्पिक कर, लाभांश वितरण कर, सरचार्ज और सेस जैसी लेवी में भी बड़े बदलाव की संभावना नहीं है." सर्वे में शामिल अधिकांश कंपनियों को भी कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की उम्मीद नहीं है.


सर्वे की रिपोर्ट में कहा गया है, "अधिकांश लोगों को उम्मीद है कि छोटी कंपनियों पर लागू 25 प्रतिशत कॉरपोरेट कर में कटौती की संभावना नहीं है. लेकिन उन्हें उम्मीद है कि एलएलपी (लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप) के लिए टैक्स दर को भी कंपनियों के लिए लागू टैक्स दर के बराबर कर दिया जाएगा."


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