नई दिल्ली: कल संसद में पेश होने वाले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पहले बजट से छोटी कंपनियों को बहुत सी उम्मीद है. छोटी और मध्यम आकार की कंपनियां भारत की आर्थिक वृद्धि, निर्यात और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. लेकिन कुछ मामलों को छोड़कर, इन कंपनियों को दूसरी बड़ी कंपनियों की तरह ही लेबर लॉ का पालन करना पड़ता है. छोटी कंपनियों को उम्मीद है कि मोदी सरकार न सिर्फ उन्हें टैक्स के मोर्चे पर कुछ राहत देने की घोषणा करेगी, बल्कि कुछ नीतिगत उपायों की भी घोषणा करेगी.


फाइनेंशियल एक्सप्रेस में छपी एक खबर के मुताबिक नोएडा में एक कंपनी Umbrella Infocare के को फाउंडर संजय अग्रवाल ने उम्मीद जताई है कि इस बजट में छोटी कंपनियों पर कंप्लायंस के बोझ को कम किया जाएगा. संजय अग्रवाल ने कहा, "इस बजट में सरकार को तीन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए, कंप्लायंस की हाई कॉस्ट, हाई टैक्स और मुश्किल लेबर लॉ को आसान बनाना."


ऑटो सेक्टर की कंपनियों की मांग


छोटी कंपनियां अपने ऑपरेटिंग रेश्यो का विस्तार करने के लिए कुछ प्रकार के टैक्स में छूट की मांग भी कर रही हैं. 2017 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने छोटी कंपनियों को टैक्स में राहत देते हुए उनपर कॉर्पोरेट टैक्स को 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दिया गया. अब इन कंपनियों को उम्मीद है कि इस बजट में भी सरकार उनके लिए ऐसी ही किसी योजना को पेश कर सकती है. अगर ऐसा होता है बुरी हालत झेल रहे ऑटो सेक्टर के लिए भी ये काफी राहत की बात होगी.


स्टील पर घटे इंपोर्ट ड्यूटी


ऑटो सेक्टर की ये भी मांग है कि स्टील पर इंपोर्ट ड्यूटी कम की जाए क्योंकि ऑटो कंपनियों के लिए स्टील एक बड़े माल के रूप में उपयोग होता है. स्टील पर ड्यूटी घटने से ऑटो कंपनियों के लिए उत्पादन लागत सस्ती होगी और उनका मुनाफा बढ़ता हुआ देखा जाएगा. आपको बता दें कि महिंद्रा एंड महिंद्रा को छोड़कर ऑटो सेक्टर की बाकी कंपनियों की बिक्री लगभग पिछले एक साल के निचले स्तर पर जा पहुंची है. घरेलू बाजार की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजुकी भी लगातार अपने बिक्री के सबसे कम स्तरों का सामना कर रही है.


इस बजट में ऑटो सेक्टर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है. देखना होगा कि सरकार की तरफ से ऑटो कंपनियों के लिए क्या राहत भरे एलान किए जाते हैं.


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