(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
बजट 2019: स्टार्ट-अप्स के लिए सरकार को उठाने चाहिए ये बड़े कदम, जानें उनकी कुछ मांगों के बारे में
सरकार इस बजट में स्टार्ट-अप्स के लिए कुछ कदम उठाए तो इसके काफी तेज गति से रफ्तार हासिल करने की उम्मीद है. जानिए कुछ ऐसे ही कदमों के बारे में-
नई दिल्लीः स्टार्ट-अप इंडिया मोदी सरकार के पहले कार्यकाल की बेहद महत्वाकांक्षी योजना है और इसके जरिए मोदी सरकार आंत्रप्रेन्योर्स को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं और इंसेंटिव्स लेकर आई. इस कवायद के तहत जनवरी 2016 में 'स्टार्ट-अप इंडिया एक्शन प्लान' को लॉन्च किया गया जिसके जरिए एक मजबूत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम विकसित किया जा सके. इसके जरिए सरकार की मंशा है कि टिकाऊ अर्थव्यवस्था की ग्रोथ और बड़े पैमाने पर रोजगार के मौके पैदा किए जा सकें.
भारतीय स्टार्ट-अप इकोसिस्टम अभी भी विकासशील अवस्था में हैं और अभी भी इसने अपने लक्ष्य का एक बहुत बड़ा हिस्सा पूरा नहीं किया है. अगर सरकार इस बजट में स्टार्ट-अप्स के लिए ये कदम उठाए तो इसके काफी तेज गति से रफ्तार हासिल करने की उम्मीद है. जानिए कुछ ऐसे ही कदमों के बारे में
- स्टार्ट-अप्स के लिए इंकम टैक्स छूट की सीमा 3 साल से बढ़ाकर 5 साल की जाए
- स्टार्ट-अप्स के लिए विदेशी उधारी लेने पर जो टैक्सेशन है उसे खत्म किया जाए या उसकी दरों में कमी की जाए.
- स्टार्ट-अप्स के लिए टैक्स की दरों को कम किया जाए और उन्हें मिलने वाली छूटों को बढ़ाया जाए जिससे वो और अधिक तेजी से अपने कारोबार का विस्तार कर सकें.
- 19 फरवरी 2019 को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी की गई एलिजिबल स्टार्ट अप्स की परिभाषा जो इंकम टैक्स कानून के तहत मानी जाती है उसको और अधिक विस्तार दिया जाना चाहिए यानी उसका दायरा बढ़ाया जाना चाहिए.
- स्टार्ट-अप्स के लिए तकनीक का इस्तेमाल और आसान बनाया जाना चाहिए और उन्हें तकनीक हासिल करने के लिए भी इंसेंटिव्स दिए जाने चाहिए जिससे वो मॉडर्न तरीकों से कारोबार पर जोर दे सकें.
- घरेलू इंवेस्टर्स स्टार्ट-अप्स में निवेश कर सकें इसके लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के नियमों का सरलीकरण किया जाना चाहिए और लॉन्ग टर्म होल्डिंग पीरियड को 24 महीनों से घटाकर 12 महीने किए जाना चाहिए.
- एंजेल टैक्स के प्रावधानों को और ज्यादा आसान बनाया जाना चाहिए जिससे नए-नए आंत्रप्रेन्योर इसकी तरफ आकर्षित हो सकें.
- जो मानक वैश्विक स्तर पर फॉलो किए जाते हैं उसी तरह देश में भी स्टार्ट-अप्स के लिए रिसर्च और अनुसंधान के साधन मुहैया कराए जाने चाहिए जिससे वो ज्यादा से ज्यादा नई टेक्नॉलोजी का इस्तेमाल कर सकें.
- स्टार्ट-अप्स को मिनिमम ऑल्टरनेट टैक्स यानी मैट से राहत दी जानी चाहिए दूसरे टैक्स सिस्टम के तहत लाया जाना चाहिए जिससे उनकी अच्छी प्रगति हो सके.
- बैंकों और फाइनेंशियल संस्थानों को स्टार्ट अप्स को फंड करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और उन्हें और अधिक इंसेंटिव्स दिए जाने चाहिए.
- इंकम टैक्स लॉ के तहत स्टार्ट-अप्स की मशीनरी और प्लांट के डेप्रिसिएशन पर मिलने वाली छूट को और अधिक बढ़ाया जाना चाहिए.
- महिलाओं की भागीदारी स्टार्ट-अप्स में बढ़ाई जा सके इसके लिए सरकार को महिलाओं के लिए कारोबार में और अधिक छूटों का एलान करना चाहिए जिससे वो घर बैठे किसी तरह के कारोबार करने के लिए उत्साहित हो सकें.
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