Budget 2021 Defense: रक्षा बजट पर टिकी हैं पूरे देश की निगाह, ये है उम्मीदें
चीन के साथ लंबे समय से चल रहे तनाव और पाकिस्तानी घुसपैठ के बीच पूरा देश रक्षा बजट पर टकटकी लगाए हुए है. रक्षा क्षेत्र को भी बजट 2021-22 से बड़ी उम्मीदे हैं. दरअसल आने वाले वर्ष हमारे देश की रक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण होने वाले हैं. आइए जानते हैं इस बजट से रक्षा क्षेत्र को क्या-क्या उम्मीदें हैं
कोरोना संकट के बीच आज देश का आम बजट 2021-22 पेश किया जाएगा. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इस बजट को पेश करेंगी. निर्मला सीतारमण के इस बजट से हर सेक्टर को बड़े ऐलान की उम्मीदें हैं. इसके साथ ही स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे और रक्षा पर अधिक खर्च के माध्यम से आर्थिक सुधार को आगे बढ़ाने पर अधिक ध्यान दिये जाने की भी उम्मीद की जा रही है. दरअसल सिक्कम के नाकू ला में चीनी सेना के साथ भारतीय आर्मी की टकराव और इससे पहले पिछले साल 15 जून को गलवान में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प के चलते देशवासी रक्षा को लेकर काफी सचेत दिख रहे हैं. दूसरी तरफ पाकिस्तान लगातार सीमा पर घुसपैठ की फिराक में लगा हुआ है. ऐसे में पूरे देश की निगाह रक्षा क्षेत्र में सरकार द्वारा बजट में किए जाने वाले ऐलानों पर लगी है.
रक्षा क्षेत्र में बजट 2021-22 से उम्मीदें
1-सीमा पर सुरक्षा ढांचे को और सेना को मजबूत करने के लिए हाईटेक हथियारों की खरीद के लिए सरकार इस बार रक्षा बजट को बढ़ा सकती है. गौरतलब है कि साल 2020-21 में भारत का रक्षा बजट 3.05 लाख करोड़ का था.
2- पूर्व सैनिकों की पेंशन के लिए 133,825 करोड़ का बजट साल 2020-21 के लिए रखा गया था. रक्षा बजट का 56% थल सेना के लिए, 23% वायुसेना के लिए, 15% नौसेना के लिए और डीआरडीओ के लिए 6% बजट रखा गया था.
3-पिछले साल, रक्षा मंत्रालय को सरकार का आवंटन कुल बजट खर्च के 15.5% पर सभी मंत्रालयों में सबसे अधिक था.
4-भारत के समग्र रक्षा खर्च में पिछले 10 वर्षों में 9% की औसत वृद्धि दर देखी गई है.
5-अगर सरकार इस प्रवृत्ति पर अड़ी रही, तो इस साल कम से कम रक्षा बजट 5 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े से अधिक होगा.
6-हालांकि, सैन्य रिफॉर्म्स और आधुनिकीकरण के संदर्भ में, सभी की निगाह पूंजीगत व्यय के लिए आवंटित धन पर होगी.
7- भारत की वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की कमी है, वायुसेना ने सरकार को 114 लड़ाकू विमानों की आवश्यता बताई है. इसके साथ ही थल सेना और नौसेना को भी इस बजट से काफी उम्मीदें हैं.
पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक, कुल रक्षा बजट तत्कालीन अनुमानित जीडीपी का सिर्फ 2.1% था. 1960 के दशक की शुरुआत के बाद यह सबसे कम आंकड़ा था. वास्तव में, पिछले कुछ वर्षों में, भारत का रक्षा बजट जीडीपी के अनुपात में गिरावट के साथ रहा है.सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपने जीडीपी का कम से कम 2.5% चीन और पाकिस्तान के खिलाफ आवश्यक निवारक निर्माण के लिए रक्षा व्यय के लिए आवंटित करना चाहिए.
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