पिछले बजट में शुरू की गई नई वैकल्पिक आयकर व्यवस्था को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से, सरकार ने टैक्सपेयर्स के लिए वित्तीय बचत साधनों की कुछ और श्रेणियों की अनुमति देने के लिए योग्य छूट और छूट की सूची को आगे बढ़ाने का प्रस्ताव किया है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि हर तबके की तरफ से ये मांग है कि टैक्स को कम से कम किया जाए और इसमें छूट मिले.
कर बोझ को कम करने के पक्ष में है सरकार
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय बजट 2021 की चर्चा में सबसे ज्यादा ये बात कही जा रही है कि सरकार प्रयोज्य आय सुनिश्चित करके अधिक मांग को आगे बढ़ाने के लिए कर के बोझ को कम करने के पक्ष में है. इस एक्सरसाइज में शामिल दो अधिकारियों ने कहा कि इसका उद्देश्य पहले की आयकर स्लैब में किसी बड़े बदलाव को करने की बजाय कर प्रस्तावों के माध्यम से नई कर व्यवस्था को प्रोत्साहित करना है”एक सरकारी अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को ये भी बताया कि, “नई आयकर व्यवस्था ने प्रत्याशित रूप से वह तरीका नहीं चुना है. इसलिए नए आयकर विकल्प में भविष्य निधि जैसी अधिक छूट शामिल करने पर विचार किया जा रहा है.”
कई छूट की हो रही है डिमांड
बता दें कि बजट से पहले की जा रही कई रिप्रेजेंटेशन में मांग की जा रही है कि अवकाश यात्रा रियायत नकद वाउचर योजना को एक्सटेंड किया जाए. इसके साथ ही सभी टैक्सपेयर्स को मेडिकल एक्सपेंडिचर से मिलने वाले बेनिफिट्स की एक्सटेंशन हो. वहीं होम लोन के लिए इंटरेस्ट रेट की लिमिट हाईक और पहली बार घर खरीदने वालों के लिए भी टैक्स कंसेशन हो.सूत्रों के मुताबिक, हालांकि, सरकार नई व्यवस्था के तहत अधिक लाभ देने की भी इच्छुक है. इसलिए, नई कर प्रणाली को प्राथमिकता और प्रोत्साहन दिया जा सकता है.
पिछले साल नई रियायती आयकर व्यवस्था की घोषणा की गई थी
गौरतलब है कि पिछले साल फरवरी में 2020-21 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते समय, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई रियायती आयकर व्यवस्था की घोषणा की थी, जिसमें कर की कम दरें पेश की गई थीं. नई व्यवस्था के तहत, किसी व्यक्ति को 5 लाख रुपये से 7.5 लाख के बीच की आय के लिए 10 प्रतिशत कर का भुगतान करना पड़ता है, और 7.5 लाख रुपये से 10 लाख की आय के लिए 15 प्रतिशत का भुगतान करना पड़ता है 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये के बीच आय पर 20 प्रतिशत कर है और इन कैटेगिरी में से प्रत्येक के लिए 30 प्रतिशत की मौजूदा दर के मुकाबले 12.5 लाख रुपये और 15 लाख रुपये के बीच आय के लिए 25 प्रतिशत कर है. वहीं 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर दोनों व्यवस्था में 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया गया है.
कोरोना के कारण चरमराई अर्थव्यवस्था को छूट की कितनी उम्मीद?
गौरतलब है कि 2021-22 का केंद्रीय बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा. वही बता दें कि कोरोना संक्रमण की वजह से अर्थव्यवस्था पर काफी काफी बुरा असर पड़ा है. डायरेक्ट और इन डायरेक्ट टैक्स से होने वाली सरकार की आय में कमी आई है. ऐसे में क्या सरकार के लिए टैक्स में छूट देना संभव होगा. हालांकि ऐसी खबरें हैं कि वित्त मंत्रालय सेक्शन 80 C के तहत छूट की सीमा को बढ़ाने की मांग पर विचार कर रहा है.
बढ़ सकती है 80C के तहत मिलने वाली छूट
सरकार 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में सेक्शन 80C के तहत मिलने वाली छूट को 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर सकती है. सरकार बजट में बजट में होम लोन के ब्याज और मूल धन दोनों के भुगतान पर टैक्स डिडक्शन की सीमा भी बढ़ा सकती है.
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