नई दिल्ली: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से कदम उठाए जा रहे हैं. वहीं लॉकडाउन के बाद मोदी सरकार की ओर से एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए कई ऐलान भी किए थे. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से लॉकडाउन के दौरान एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया है. हालांकि अब बजट 2021 से भी एमएसएमई को कई उम्मीदें हैं. माना जा रहा है कि इस बार के बजट में एमएसएमई सेक्टर के लिए सरकार आर्थिक पैकेज बढ़ा सकती है और कुछ राहत भी दे सकती है.


कोरोना वायरस के संकट पर लगाम लगाने के लिए देश में लॉकडाउन लागू किया गया था. हालांकि इस लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था को गहरी चोट लगी. उद्योग-धंधे ठप्प हो गए और लोगों के रोजगार पर भी संकट आ गया. वहीं सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) को भी इस लॉकडाउन के कारण काफी बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा है. एमएसएमई सेक्टर को मांग में कमी देखने को मिली है तो वहीं यह सेक्टर अभी भी नकदी की समस्या का सामना कर रहा है. अब एमएसएमई सेक्टर और इससे जुड़े लोगों की निगाहें बजट 2021 पर टिकी हुई हैं.


एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा का कहना है कि बजट 2021 से MSME सेक्टर उम्मीदें लगाए हुए है. हमारी मांग है कि सरकार की ओर से एमएसएमई सेक्टर के लिए जीएसटी की दरों में कमी लाई जाए. सुरेंद्र नाहटा का कहना है कि सरकार से मांग है कि एमएसएमई सेक्टर के लिए जीएसटी 12% की दर पर अगर फिक्स की जाती है तो इससे एमएसएमई को बढ़ावा मिल सकता है. इसके साथ ही जीएसटी रिटर्न फाइन करने की प्रक्रिया को थोड़ा आसान किया जाना भी जरूरी है.


आर्थिक पैकेज को बढ़ाए सरकार


मोदी सरकार की ओर से लॉकडाउन के बाद एमएसएमई सेक्टर के लिए तीन लाख करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया था. इसको लेकर एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा का कहना है कि इसका फायदा एमएसएमई को मिल रहा है. हालांकि सरकार को इस तीन लाख करोड़ के पैकेज को और ज्यादा बढ़ाना चाहिए. तीन लाख करोड़ का पैकेज एमएसएमई सेक्टर के लिए कम पड़ रहा है. साथ ही लोन के लिए बैंकिंग प्रणाली में सुधार की जरूरत है. मसलन, जो बड़े एमएसएमई है उनको मिलने वाले लोन और छोटे एमएसएमई को मिलने वाले लोन पर जो ब्याज दर बैंकों की ओर से वसूल की जा रही है उसमें रात-दिन का फर्क देखने को मिल रहा है.


लोन पर ब्याज दर हो कम


उन्होंने कहा, 'बैंकों की ओर से लोन पर लिए जा रहे ब्याज दर पर मोलभाव किया जा रहा है, जिसके कारण छोटे उद्योग-धंधों पर उसका ज्यादा असर देखने को मिलता है. ऐसे में सरकार को एमएसएमई को दिए जाने वाले लोन की ब्याज दर फिक्स करनी चाहिए ताकी बैंक उनसे कोई मोलभाव न कर सके. ब्याज दर जितनी कम होगी, उतना ज्यादा फायदा इस सेक्टर के लोगों को होगा. वहीं चक्रवृद्धि ब्याज की जगह सामान्य ब्याज दर लगाई जानी चाहिए. इसके साथ ही जब कोई एमएसएमई सेक्टर से जुड़ा कारोबारी लोन लेने जाता है तो उससे पेपर वर्क भी काफी करवाया जाता है. कई गैर-जरूरी पेपर वर्क को कम कर इस प्रक्रिया को ओर आसान किया जा सकता है ताकी व्यापारी इन्हीं सब में न उलझ कर अपने व्यापार पर पूरा ध्यान दे सके.'


आर्थिक बोझ में हो कमी


एमएसएमई सेक्टर को आर्थिक मंदी से उबारने के लिए सुरेंद्र नाहटा ने सुझाव दिया है कि एमएसएमई सेक्टर पर जितना आर्थिक बोझ कम होगा, यह सेक्टर उतना ही ज्यादा निखरकर सामने आएगा. बिजली, पानी, भूमि के किराए या एमएसएमई के जरिए खरीदी गई भूमि आदि की दरें सस्ती की जानी चाहिए. इनका बोझ भी एमएसएमई सेक्टर पर काफी आता है. कोरोना काल के बाद से ही एमएसएमई सेक्टर सुस्त है लेकिन इस सेक्टर के जरिए बिजली, पानी के फिक्स चार्ज का भुगतान अभी भी किया जा रहा है. ऐसे में बिजली, पानी का इस्तेमाल जितना हो, बस उसी का चार्ज लेना चाहिए और फिक्स चार्ज की व्यवस्था एमएसएमई सेक्टर के लिए बंद की जानी चाहिए. इसके अलावा देरी से अगर भुगतान किया जाता है तो उस पर लगने वाली पैनेल्टी की व्यवस्था खत्म की जानी चाहिए. कारोबारियों पर जितना आर्थिक बोझ कम होगा, उतनी ही ज्यादा उद्योग बढ़ेगा, रोजगार बढ़ोगा और राजस्व बढ़ेगा.


ये सुविधाएं भी जरूरी


सुरेंद्र नाहटा ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर को मार्केटिंग और अवेयरनेस प्रोगाम के लिए सरकार की ओर से ग्राउंड या कोई प्लेटफॉर्म मुहैया करवाया जाना चाहिए. इसके अलावा सरकार को अपनी बोर्ड मीटिंग में उद्योगपतियों को भी शामिल कर उनकी बातें सुननी चाहिए. एमएसएमई सेक्टर के लिए रॉ मेटेरियल मार्केट, मशीनरी मार्केट, ट्रांसपोर्ट, डिस्प्ले सेंटर आदि जैसी सुविधाएं भी मुहैया करवाई जानी चाहिए. इसके साथ ही एमएसएमई सेक्टर से जुड़े श्रमिकों के लिए आवास उपलब्ध करवाए जाने चाहिए क्योंकि लॉकडाउन के कारण श्रमिकों को पलायन करना पड़ा है, जिसके कारण भी इस सेक्टर पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है.


इंपोर्ट-एक्सपोर्ट में मिले राहत


एमएसएमई के लिए इंपोर्ट-एक्सपोर्ट की प्रक्रिया को लेकर सुरेंद्र नाहटा ने कहा है कि एक्सपोर्ट करने के दौरान हमारा कुछ फंड जमा हो जाता है. यह फंड जल्दी रिफंड नहीं किया जाता है. ऐसे में अगर इस जमा फंड को जल्दी रिफंड किया जाए तो एमएसएमई को थोड़ी राहत मिलेगी. वहीं इंपोर्ट-एक्सपोर्ट के दौरान कंटेनर की कमी की समस्या का भी कई बार सामना करना पड़ता है. यह समस्या भी दूर की जानी चाहिए.


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