Budget 2023: इस विदेशी ब्रोकरेज कंपनी को भरोसा, भारत सरकार हासिल कर लेगी फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य
Budget Expectations: देश का आम बजट 1 फरवरी 2023 को पेश होने वाला है और इससे पहले ही केंद्र सरकार के लिए अच्छी खबर आई है कि इसके राजकोषीय घाटे को लेकर ब्रोकरेज फर्म ने भरोसा जताया है.
Budget Expectations: 1 फरवरी को आम बजट 2023-24 संसद में प्रस्तुत किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार एक फरवरी को बजट पेश करेगी. अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले यह सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा. इसको लेकर इंडस्ट्री से लेकर आर्थिक संस्थानों और सेक्टर्स की बड़ी-बड़ी उम्मीदें बनी हुई हैं.
चालू वित्त वर्ष में फिस्कल डेफिसिट के लक्ष्य को हासिल कर लेगी सरकार- Goldman Sachs
सरकार चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा या फिस्कल डेफिसिट 6.4 फीसदी के स्तर पर रखने के लक्ष्य को हासिल कर लेगी और अगले वित्त वर्ष में इसमें 0.50 फीसदी की कमी आ सकती है. बजट में राजकोषीय मजबूती पर जोर दिये जाने की उम्मीद है. एक विदेशी ब्रोकरेज कंपनी की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है. वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में राजकोषीय घाटा 6.4 फीसदी रहने का अनुमान रखा गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में कहा था कि वह बजट के अनुसार राजकोषीय लक्ष्यों को हासिल करेंगी. इसका कारण बजट में तय लक्ष्यों के मुकाबले टैक्स कलेक्शन अधिक होना है.
कमोडिटी कीमतों पर आया असर पर सरकार प्रबंध करने में सक्षम
अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी Goldman Sachs ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि कमोडिटी के दाम में तेजी के कारण खाद्यान्न और फर्टिलाइजर सब्सिडी पर खर्च बढ़ाना पड़ा है. इससे ज्यादा टैक्स राजस्व के रूप में सरकार के लिये राजकोष के स्तर पर जो गुंजाइश बनी थी, वह कायम नहीं रह पायी. इसके अलावा सरकार ने मुख्य रूप से कैपिटल एक्सपेंडीचर, ग्रामीण विकास और रक्षा क्षेत्र में अतिरिक्त खर्च को लेकर मांग भी संसद में रखी. रिपोर्ट में उम्मीद जतायी गयी है कि सरकार बजट में तय लक्ष्य के अनुसार राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.4 फीसदी पर बरकरार रख पाएगी. कमोडिटी के दाम में तेजी से जो अतिरिक्त सब्सिडी है, उसकी भरपाई बजट से होने की संभावना है.
टैक्स राजस्व के अधिक होने से राजकोषीय मजबूती में बढ़त
ब्रोकरेज कंपनी ने यह भी उम्मीद जतायी कि वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटे में 0.5 फीसदी की कमी आने का अनुमान है. इसका कारण खाद्य और उर्वरक सब्सिडी में कमी और टैक्स राजस्व का अधिक होना है. यानी इसका मतलब है कि देश राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर आगे बढ़ने वाला है. यह उम्मीद डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स से बंधी है. दोनों मदों में टैक्स कलेक्शन बजट अनुमान को पार कर जाने की उम्मीद है. हालांकि, सरकार विनिवेश लक्ष्य से चूक सकती है.
बाजार से कर्ज को सीमित किए जाने पर सरकार का जोर
ब्रोकरेज कंपनी ने कहा कि बजट में मध्यम अवधि में राजकोषीय मजबूती के रास्ते को चुने जाने के साथ पूंजी व्यय, विनिर्माण प्रोत्साहन पर जोर दिये जाने की उम्मीद है जबकि बाजार से कर्ज को इस हद तक सीमित किया जा सकता है, जिससे बाजार पर प्रतिकूल असर नहीं पड़े.
सड़कों और रेलवे में पूंजी आवंटन पर ज्यादा होगा जोर
यह बजट चुनाव से पहले पेश किया जा रहा है. ऐसे में सरकार बुनियादी ढांचे के लिये मुख्य रूप से सड़कों और रेलवे में पूंजी व्यय आवंटन में वृद्धि करेगी. दूसरी तरफ रक्षा खर्च में कमी की जा सकती है और ग्रामीण क्षेत्र और शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे कल्याणकारी उपायों को लेकर आवंटन में वृद्धि होगी. राजकोषीय घाटा कुल आय और व्यय का अंतर है. यह घाटा बताता है कि सरकार को व्यय लक्ष्य को पूरा करने के लिये बाजार से कितना उधार लेना होगा.
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