Budget 2023: मोदी सरकार के इस फैसले के बाद बदल गई थी बजट से जुड़ी 92 साल पुरानी परंपरा! जानें इसके डिटेल्स
Budget 2023: मोदी सरकार ने साल 2017 में बजट से जुड़ी एक खास परंपरा में 92 साल बाद बहुत बड़ा बदलाव किया था. इसके बाद से लगातार इस बदले नियम को आजतक फॉलो किया जा रहा है. आइए जानते हैं इस बारे में.
Railway Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी यानी बुधवार के दिन मोदी सरकार (Modi Government) के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट पेश (Budget 2023) करने वाली हैं. साल 2024 चुनावी साल है. ऐसे में सरकार आम आदमी को राहत देने के लिए कई घोषणाएं कर सकती है. इसमें रेलवे से जुड़ें कई अहम फैसले होते हैं. वित्त मंत्री कल सुबह 11 बजे संसद में अपना बजट भाषण पेश करेंगी. बजट देश के लिए सबसे अहम होता है क्योंकि इसके जरिए सरकार देश की कमाई और खर्च का लेखा जोखा और भविष्य में देश के विकास का प्लान करती है. बदलते वक्त के साथ ही बजट पेश करने के तरीकों में बहुत बदलाव आ हैं. साल 2017 में मोदी सरकार ने यूनियन बजट (Union Budget 2023) में बहुत बड़ा बदलाव किया था.
92 साल की परंपरा में हुआ बदलाव
मोदी सरकार ने साल 2017 में बजट में एक बड़ा बदलाव किया था. साल 2017 से पहले तक देश में दो तरह के बजट पेश किए जाते थे. पहला रेल बजट और दूसरा आम बजट. आम बजट में सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा और देश की आर्थिक विकास से जुड़ी कई महत्वपूर्ण घोषणाओं के बारे में जानकारी देती थी. वहीं रेलवे से जुड़े घोषणाओं को अलग से रेलवे बजट संसद में पेश किया जाता था.
रेलवे बजट पहली बार साल 1924 में अंग्रेज सरकार द्वारा पेश किया गया था. इसके बाद से ही लगातार हर साल आम बजट से एक दिन पहले रेलवे बजट (Railway Budget 2023) पेश किए जाने की परंपरा चली आ रही थी, जिसे मोदी सरकार ने साल 2017 में बदले का काम किया है. सरकार ने 2017 में आम बजट और रेलवे बजट को मर्ज कर दिया और इसके बाद साल 2017 से केवल एक ही बजट पेश किया जाने लगा.
अरुण जेटली ने 2017 में पेश किया था पहला कॉमन बजट
आपको बता दें कि साल 2017 में पहली बार आम बजट में ही रेलवे बजट को तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने पेश किया था. इसके बाद से ही लगातार यह परंपरा चली आ रही है. ध्यान देने वाली बात ये है कि नीति आयोग ने ब्रिटिश शासन ले चली आ रही इस परंपरा को खत्म करने की सलाह दी थी.
सरकार ने अलग-अलग अथॉरिटीज से भी इस मामले पर विचार-विमर्श करने के बाद रेलवे बजट को आम बजट में मिला देने का फैसला किया था. इसके बाद से अब देश में केवल एक ही बजट पेश किया जाता है. बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री देश का इकोनॉमिक सर्वे भी पेश करती हैं, जिसके जरिए देश की आर्थिक हालात का लेखा जोखा देश के सामने पेश किया जाता है.
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