Budget 2023: दुनियाभर के अलग-अलग देशों में कितनी हैं इनकम टैक्स की दरें, जानिए किस नंबर पर आता है भारत?
Income Tax Slab: आपको बता दें कि अलग-अलग देशों में सरकार जनता से अलग-अलग दरो पर टैक्स वसूलती है. आइए जानते हैं अलग-अलग देशों के टैक्स स्लैब के बारे में.

Union Budget 2023: कल यानी 1 फरवरी, 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) देश के सामने साल 2023 का आम बजट पेश करने वाली हैं. ऐसे में नौकरीपेशा वर्ग के लोगों को सरकार से ये यह उम्मीद है कि उन्हें टैक्स स्लैब में छूट का तोहफा मिलेगा. साल 2024 के आम चुनावों से पहले मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह आखिरी पूर्ण बजट है. ऐसे में देश के मध्यम वर्ग को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए वित्त मंत्री टैक्स स्लैब में कुछ बदलाव कर सकती हैं. ध्यान देने वाली बात ये है कि भारत इंडीविजुअल टैक्सपेयर्स के लिए प्रोग्रेसिव टैक्स स्लैब सिस्टम को फॉलो करता है. भारत में सैलरी के हिसाब से अलग-अलग टैक्स स्लैब है, जिसमें महिलाओं और बुजुर्गों के स्पेशल छूट का भी प्रावधान है.
देश के लिए 'टैक्स' क्यों है जरूरी?
आपको बता दें कि किसी भी देश की उन्नति के लिए 'टैक्स' बेहद जरूरी है. टैक्स के जरिए जमा पैसों को सरकार देश के विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य और शिक्षा के ऊपर खर्च करती है. इससे देश के ग्रोथ में तेजी आती है. सरकार अपनी कमाई (टैक्स के जरिए इकट्ठा) होने वाली राशि को देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को गति को देने के लिए खर्च करती है.
क्या है अलग-अलग देशों में टैक्स सिस्टम?
दुनिया के अलग-अलग देशों में टैक्स का अलग-अलग सिस्टम फॉलो किया जाता है. भारत की तरह ही अमेरिका, कनाडा, जापान आदि देशों में प्रोग्रेसिव टैक्स स्लैब सिस्टम को फॉलो किया जाता है. इसमें लोगों को उनकी इनकम, उम्र, लिंग, इनकम सोर्स और लिंग के आधार पर अलग-अलग दरों पर टैक्स देना पड़ता है. बता दें कि भारत समेत दुनिया के कई देशों में सरकार जनता से 10 से 60 फीसदी तक टैक्स लेती हैं. वहीं खाड़ी देशों में टैक्स की बात करें तो कई ऐसे देश हैं जहां लोगों से एक रुपये भी टैक्स के रूप में नहीं लिया जाता है.
आइए जानते हैं अलग-अलग देशों का टैक्स दरें-
- भारत 42.74%
- फिनलैंड 56.95%
- कनाडा 33%
- अमेरिका 37%
- फ्रांस 45%
- हांगकांग 15%
- जर्मनी 45%
- यूनाइटेड किंगडम 45%
- चीन 45%
- ऑस्ट्रेलिया 45%
- जापान 55.97%
- सिंगापुर 22%
(ये दरें सांकेतिक हैं और विभिन्न मामलों में इनमें बदलाव संभव है)
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