वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज मंगलवार को वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट पेश किया. बजट में उन्होंने कृषि से लेकर युवाओं के कौशल विकास तक कई सेक्टरों के लिए ऐलान किए. वहीं दूसरी ओर इस बजट में रेलवे और डिफेंस जैसे सेक्टरों को निराशा हाथ लगी. वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में जहां रेलवे का एक ही बार जिक्र किया, वहीं रक्षा क्षेत्र के बजट में भारी-भरकम कटौती कर दी गई.
अंतरिम बजट की तुलना में इतनी बड़ी कटौती
वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए 4.54 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इससे पहले फरवरी में आए अंतरिम बजट में रक्षा क्षेत्र को 6.21 लाख करोड़ रुपये देने का ऐलान किया गया था. यानी चार महीने पहले आए अंतरिम बजट की तुलना में अब पूर्ण बजट में रक्षा क्षेत्र का आवंटन 1.67 लाख करोड़ रुपये कम हो गया है. ऐसा पहली बार हुआ है, जब डिफेंस सेक्टर के बजट में इस तरह की कटौती हुई है.
इस तरह बढ़ रहा था रक्षा क्षेत्र पर खर्च
इससे पहले मोदी सरकार के कार्यकाल में रक्षा क्षेत्र का बजट लगातार बढ़ता गया था. इस बार के बजट से पहले पिछले चार साल में रक्षा बजट का आकार लगभग 30 फीसदी बढ़ा था. साल 2020 के बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए सरकार ने 4.71 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. उसके बाद 2021 के बजट में रक्षा क्षेत्र के खर्च को बढ़ाकर 4.78 लाख करोड़ रुपये किया गया था.
4 साल में सबसे कम हुआ रक्षा बजट
साल 2022 के बजट में पहली बार रक्षा बजट का आकर 5 लाख करोड़ रुपये के पार निकला था और 5.25 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया था. वहीं पिछले साल यानी 2023 के बजट में रक्षा क्षेत्र को मोदी सरकार ने 5.94 लाख करोड़ रुपये दिया था. चार महीने पहले आए अंतरिम बजट में तो रक्षा बजट का साइज बढ़कर 6 लाख करोड़ रुपये के पार निकल गया था. हालांकि इस बार रक्षा क्षेत्र को 4.54 लाख करोड़ रुपये मिले हैं, जो 4 साल में सबसे कम हैं. साल 2019 में रक्षा क्षेत्र को इससे भी कम 3.19 लाख करोड़ रुपये मिले थे.
6 लाख करोड़ से ज्यादा की थी उम्मीद
पिछले साल आए बजट तक देखें तो बीते 4 साल के दौरान रक्षा क्षेत्र के बजट में 6.5 फीसदी की सालाना दर (सीएजीआर) से बढ़ोतरी हो रही थी. मोदी सरकार रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की महात्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है. सरकार चाहती है कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों का ज्यादा से ज्यादा सामान खुद तैयार करे और आयात पर निर्भरता कम हो. इसके साथ ही सरकार का जोर सेनाओं के आधुनिकीकरण पर है. ऐसे में लोग रक्षा क्षेत्र का बजट 6 लाख करोड़ रुपये से तो ऊपर ही रहने की उम्मीद कर रहे थे.
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