दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की योजना संभवत: फिर से टल गई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज मंगलवार को वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट पेश किया, लेकिन उन्होंने बैंकों के निजीकरण की सरकार की योजना पर कोई जानकारी नहीं दी. सरकार ने 3 साल पहले बजट में इस योजना को सार्वजनिक किया था, लेकिन उसके बाद से योजना टलती जा रही है.


इससे पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि सरकार की योजना अब सरकारी बैंकों का आपस में विलय करने की नहीं है. सरकार वित्त वर्ष 2024-25 में सरकारी बैंकों के विलय की योजना पर आगे नहीं बढ़ना चाहती है, लेकिन सरकारी बैंकों के निजीकरण की योजना पर काम चल रहा है. सरकार लंबे समय से आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने का प्रयास कर रही है. हालांकि बजट में इस बारे में कोई अपडेट नहीं दिया गया.


आईडीबीआई बैंक में सरकार की हिस्सेदारी


आईडीबीआई बैंक में सरकार की 45 फीसदी हिस्सेदारी है. उसके अलावा 49.24 फीसदी हिस्सेदारी सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी के पास है. सरकार आईडीबीआई बैंक में अपनी और एलआईसी की मिलाकर 60.7 फीसदी हिस्सेदारी को बेचना चाहती है.


वित्त मंत्री ने दो साल पहले बताई थी योजना


सरकार की योजना आईडीबीआई बैंक के अलावा दो सरकारी बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी को प्राइवेट बनाने की है. इस बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 का बजट पेश करते हुए सरकार की योजना बताई थी. उन्होंने कहा था कि सरकार दो बैंकों और 1 बीमा कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहती है. नीति आयोग भी कुछ सरकारी बैंकों के निजीकरण की पैरवी करते आया है.


7 साल पहले हुआ सरकारी बैंकों का विलय


सरकारी बैंकों के काम-काज को दुरुस्त बनाने के उद्देश्य से करीब 7 साल पहले सरकार ने उनके मर्जर की योजना पेश की थी. मर्जर के बाद देश में सरकारी बैंकों की संख्या 27 से कम होकर 12 रह गई है. सरकार ने उस समय बताया था कि उसकी योजना वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी और साइज में बड़े सरकारी बैंक तैयार करने की है.


इन सरकारी बैंकों का हुआ था विलय


मर्जर के बाद एसबीआई देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक बना हुआ है. उसके बाद दूसरा नंबर पंजाब नेशनल बैंक का है, जिसमें ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय किया गया है. उसके अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा में देना बैंक व विजया बैंक का, इंडियन बैंक में इलाहाबाद बैंक का, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में आंध्रा बैंक व कॉरपोरेशन बैंक का और केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक का विलय किया गया था. विलय से सरकारी बैंकों की दक्षता बेहतर करने में मदद मिली है.


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