वित्त वर्ष 2024-25 के बजट से उम्मीद लगाए बैठे रेल यात्रियों के हाथ एक बार फिर निराशा आई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज मंगलवार को संसद में नया बजट पेश किया. उनके बजट भाषण में रेलवे सेक्टर पूरी तरह से हााशिए पर खिसक गया और करीब डेढ़ घंटे के भाषण में सिर्फ एक बार रेलवे का जिक्र आया.


साल 2016 में आया था आखिरी रेल बजट


कुछ साल पहले तक बजट के सीजन में रेल बड़ा आकर्षण हुआ करता था. अभी बहुत समय नहीं बीता है, जब अलग से रेल बजट आया करता था और उसे खूब सुर्खियां मिली करती थीं. हालांकि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान सितंबर 2016 में रेल बजट को आम बजट में शामिल करने की मंजूरी दे दी गई. उसके बाद 2017 में जब बजट पेश हुआ तो रेल बजट उसका एक हिस्सा बन चुका था.


आंध्र प्रदेश के बहाने हुआ एक बार जिक्र


हालांकि अलग से रेल बजट समाप्त होने के बाद संयुक्त बजट में भी रेलवे की अच्छी-खासी हिस्सेदारी होती थी. बजट में रेलवे को लेकर कई बड़ी योजनाओं का ऐलान किया जाता था. ऐसा पहली बार हुआ है, जब बजट में रेलवे इस तरह से हाशिए पर खिसका हो और पूरे बजट भाषण में उसके हिस्से में सिर्फ एक बार का जिक्र आया हो. दिलचस्प है कि वह एक जिक्र भी सीधे-सीधे रेलवे के कारण नहीं हुआ. वित्त मंत्री ने वह एकमात्र जिक्र आंध्र प्रदेश में इंफ्रा प्रोजेक्ट के बारे में बोलने के दौरान किया.


इन उम्मीदों पर बजट में फिरा पानी


बजट से पहले लोग रेलवे को लेकर काफी उम्मीद लगाए हुए थे. मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में रेलवे पर काफी काम भी किया है. हाल-फिलहाल में एक के बाद एक कई रेल दुर्घटनाएं सामने आई हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि बजट में रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने संबंधी उपायों का ऐलान किया जा सकता है. वहीं रेल यात्रा से जुड़ी सालों पुरानी टिकट नहीं मिलने की समस्या के समाधान की भी उम्मीद की जा रही थी. ऐसा माना जा रहा था को मोदी सरकार बजट में नई व आधुनिक ट्रेनों की सौगात रेल यात्रियों को दे सकती है.


वरिष्ठ नागरिकों-महिलाओं को रियायत नहीं


रेल यात्रियों में वरिष्ठ नागरिकों को महिलाओं को कोविड के बाद से समाप्त रियायत बहाल होने की भी उम्मीद थी. कोविड से पहले तक वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं को रेल टिकट पर विशेष रियायत मिलती थी. लॉकडाउन के बाद जब दोबारा ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ तो इस रियायत को समाप्त कर दिया गया. ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि इस बजट में रियायतें दोबारा चालू हो सकती हैं. हालांकि सरकार ने इस मुद्दे पर अपना रुख हमेशा साफ रखा था कि उसका इरादा इन रियायतों को फिर से शुरू करने का नहीं है.


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