नई दिल्ली: देश को कोरोना संकट के कारण काफी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. वहीं कोरोना संकट को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन भी लागू किया गया था. लॉकडाउन के कारण देश में लोगों के काम-धंधे ठप्प हो गए तो वहीं लाखों लोगों को रोजगार से भी हाथ धोना पड़ गया. वहीं अब आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि इकॉनोमी को रफ्तार देने के मामले में सरकार फ्रंटफुट पर तेज गति से काम कर रही है.
बजट सत्र की शुरुआत हो चुकी है. सत्र के पहले दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक समीक्षा पेश की. एक फरवरी 2021 को पेश किए जाने वाले बजट से पहले संसद में रखी गई समीक्षा में अर्थव्यवस्था की स्थिति की विस्तार से जानकारी दी गई है. मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वेंकट सुब्रमण्यम की अगुवाई वाली टीम ने 2020-21 की आर्थिक समीक्षा तैयार की है.
दीर्घकालिक सुधार
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश किए गए सर्वेक्षण के दौरान दीर्घकालिक सुधार उपायों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि मध्यम से दीर्घावधि में विकास प्रभावित होने की संभावना को खत्म करने के लिए सरकार कई बुनियादी सुधारों को शुरू करने में बेहद सक्रिय रही है, लेकिन यह भी कहा गया है कि उनका प्रभाव मध्यम से दीर्घकाल में ही सामने आएगा.
वहीं सरकार की ओर से अब फ्रंटफुट पर आर्थिक रिकवरी के लिए कदम उठाए जाने की बात कही गई है. साथ ही पॉलिसी मेकिंग को अहम बताया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुब्रमण्यम से सवाल किया कि क्या बल्लेबाजी (पॉलिसी मेकिंग) पुजारा या पंत की शैली में होगी? इसके जवाब में ऑस्ट्रेलिया पर भारत की ओर से टेस्ट सीरीज में दर्ज की गई जीत का उदाहरण देते हुए सुब्रमण्यम ने कहा कि जब गेंद स्विंग करती है तो पुजारा की तरह बल्लेबाजी करते हैं और जब स्विंग रुक जाती है तो पंत की तरह बल्लेबाजी करते हैं.
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने चेतेश्वर पुजारा की तरह महामारी के दौरान लचीलापन दिखाया, जो कि 11 बार चोटिल हुए, एक तरफ बने रहे, कोई विकेट नहीं जाने दिया और पंत को खुलकर खेलने दिया. अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से भारतीय अर्थव्यवस्था को वी-आकार में लाने के लिए ऋषभ पंत की तरह बल्लेबाजी करने की संभावना है.
आर्थिक सर्वे में अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के बारे में जानकारी दी गई. साथ ही आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए आगे किए जाने वाले सुधारों के बारे में सुझाव दिए गए हैं. कोरोना महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए ‘लॉकडाउन’ से प्रभावित अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2021-22 में तेजी से रिकवरी की उम्मीद है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर में -23.9 प्रतिशत जबकि दूसरी तिमाही में -7.5 प्रतिशत रही. वहीं पूरे वित्त वर्ष में -7.7 प्रतिशत का अनुमान है. इसके अलावा अगले वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 11 फीसदी रहने का अनुमान है.
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